आतंकवादी गदर्भराज ।
(सौजन्य-गूगल)
क्षमिणं बलिन साधुर्मन्यते दुर्जनोऽन्यथा।
दुरुक॒तमप्यतः साधोः क्षमयेत॒ दुर्जनस्य न॥
अर्थात्- सज्जन,क्षमाशील मनुष्य को बलवान और दुष्ट लोग,क्षमाशील मनुष्य को निर्बल मानते हैं । ऐसे क्रम के चलते सज्जन व्यक्ति के ताने सहन कर लेना, पर दुष्ट लोगों के कटु वचन का उचित जवाब देना चाहिए ।
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प्यारे दोस्तों,
रविवार की मदमस्त सुबह के वक़्त, मेरे घर के बरामदे में बैठ कर, अभी तो मैंने आज का अख़बार हाथ में थामा ही था कि अचानक, हमारे घर के सामनेवाले, हमारे पड़ोसी शर्माजी ने, अपने घर के बरामदेमें खड़े होकर, अपने हाथ में अख़बार उठाकर मेरी ओर हिलाते हुए, अत्यंत उत्तेजना-पूर्ण आवाज़ में मुझ से सवाल किया,
" दवेजी,आपने आज का अख़बार पढ़ा? अमेरिका ने पाकिस्तान के एबटाबाद में जाकर आतंकवाद के जनक,आतंकी ओसामा बिन लादेन पर, हेलिकाप्टर से हमला करके उसे मार कर समंदरमें दफ़ना दिया..!! हमारा देश कितने सालों से हमारे लिए मोस्ट वॉन्टेड आतंकी दाऊद इब्राहिम को हमें सौंपने के लिए पाकिस्तान को बार बार प्रेम पत्र भेज रहा है, तो क्या अमेरिका के माफिक हम भी दादागीरी करके पाकिस्तान में घुस कर उसे ज़िंदा या मुर्दा पकड़ नहीं सकते ? हम अमेरिका से कम है क्या? समझ में नहीं आता, हमारा देश वीर भगतसिंह का है या ठगतसिंह का?"
शर्माजी के ऐसे उत्तेजनापूर्ण सवाल से मेरे भीतर का प्रखर साहित्यकार (?)मानो जाग उठा । अपनी अक्ल पर जितना था उतना ज़ोर आज़माते हुए, शर्माजी के ज्ञान वृद्धि हेतु, जैसे ही मैंने अपना मुँह खोला ही था..!! बस उसी वक़्त मेरी अर्धांगिनी ने, मेरे पास आकर पुराने कुछ रद्दी कागज़ात का ढेर लगा दिया और आदेश किया,"लीजिए, अख़बार बाद में पढ़ना,पहले ये रद्दी कागज़ देख लो, अगर काम के न हों,तो उसे फाड़कर कचरेवाले को दे देना, घर साफ हो जाएगा..!!"
शर्माजी के ज्ञानवर्धन के लिए खुले हुए मेरे होंठ से, वीर भगतसिंह वाला `इन्कलाब ज़िंदा बाद` जैसा देश भक्ति का कोई नारा बाहर आए, उसके पहले ही पत्नी का यह आदेश पाकर, नतमस्तक होकर, मेरे मुँह से सिर्फ `सू..सू..सू..हूं..हूं..हूं..हाँ..देखता हूँ..!!` जैसे बेकार के शब्द निकलते देख कर, शर्माजीके चेहरे पर, किसी ग़लत आदमी(?) से सवाल करने का अफसोस साफ दिखाई देने लगा..!!
आखिर, एक पत्नीव्रता-लाचार पति के ऐसे बुरे हालात पर मानो तरस आ रहा हो, शर्माजी बिना कुछ बोले,बिना कारण अपना सिर दांये बायें हिलाते हुए, अपने घरके भीतर चले गए ।
हालाँकि, धर्म पत्नी फ़ालतू आदेश देकर और शर्माजी फ़ालतू अफसोस व्यक्त करके घर में तो चले गए,पर मेरे मन में छुपे साहित्यकार(?) को दिन दहाड़ें, दिन के सपने के गहन सागर में गोते लगाने के लिए बरामदे में ही छोड़ गए...!!
"अ..हा..हा..हा..!! दिन दहाड़ें, मुझे ऐसा अद्भुत स्वप्न आया कि, अमेरिका की तर्ज पर हमारी केन्द्रीय सरकार के आदेश पर हमारे जवाँमर्द सैनिक भी, पाकिस्तान के भीतर घुस कर आतंकी दाउद को जिंदा पकड़कर भारत में उठा लाए हैं,ऐसे समाचार आज के अखबार में छपे हैं और ऐसे मर्दाना समाचार पढ़कर मैं अत्यंत उत्तेजित होकर मेरे ख़्वाबिया हवा महल में, मारे खुशी के उछल रहा हूँ..!!
आ..हा..हा, आज ज़िंदगी में पहली बार मुझे, अपने देश के राष्ट्रपति,अपनी केन्द्रीय सरकार और पंत प्रधान श्रीमनमोहनसिंहजी में, सचमुच भारतीय शेर की अद्भुत साहस कथा के दर्शन हुए..!!
सारा विश्व ये समाचार सुनकर आश्चर्य मुग्ध हो कर हम पर बधाई की बौछार कर रहा था..!!
दिल्ली में कैबिनेट की मिटिंग पर मिटिंग हो रही थी और हमने पाकिस्तान को आतंकवादी देश जाहिर कर दिया था,जिसके चलते एक के बाद एक विश्व के हमारे दूसरे मित्र देश भी हमारी घोषणा का समर्थन कर रहे थे । (हालाँकि,अभी तक अमेरिका ने हमें समर्थन नहीं दिया,पर कोई दिक्कत नहीं,उसे तो हम बाद में देख लेंगे?)
श्रीमनमोहनसिंह के ऐसे साहसिक कदम से,सभी देशवासीओं के तन में वीरत्व का जुनून फैलने के कारण, पूरा देश सार्वजनिक तौर पर आनंद-उत्साह से देश भक्ति के नारे लगाता हुआ,नाचता-गाता हुआ चिल्ला रहा है..!!
देश की सारी प्रमुख न्यूज़ चैनलों पर,दाउद को पकड़ने के दिलधड़क ऑपरेशन के, जारी किए गए वीडियो क्लिपिंग्स बार बार अत्यंत रोचक शैली में दिखाए जा रहे हैं..!!
प्यारे दोस्तों, अब आगे क्या होगा?
क्या अमेरिका हमारा समर्थन करेगा?
या फिर पाकिस्तान को समर्थन देते हुए हम पर हमला करेगा?
क्या पकड़े जाने से पहले दाउद को नहाने-धोने का समय मिला होगा?
दाउद किस हालत में पकड़ा गया?
इन सभी सवालों के जवाब के लिए, यहीं पर कल मिलते हैं..!! ठीक हैं ना?
तब तक, जय भारत..!!
मेरा ब्लॉग-
http://mktvfilms.blogspot.com/2011/05/blog-post_20.html
मार्कण्ड दवे । दिनांकः २०-०५-२०११.
1 comment:
jai bharat !
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