सेना के युद्धाभ्यास से राजस्थान का रेगिस्तान गौरवान्वित हो गया। अपने देश की सेना का युद्ध कौशल देख रेगिस्तानी मिट्टी का कण कण उत्साहित है। वह अपने सैनिकों का माथा चूम रहा है। माथे पर तिलक लगा रहा है। हजारों सैनिक इस रेगिस्तानी मिट्टी तो अपने पैरो से रोंद रहे है। मगर मिट्टी है कि इसको अपना अहोभाग जान हर सैनिक के चरण स्पर्श कर रही है। क्योंकि जो मिट्टी आज वहाँ है उसको फिर मौका नहीं मिलेगा अपने इन जांबाजों के चरण छूने का। उसे तो उड़ जाना है। आँधी बनकर। मीडिया इस अभ्यास से रेगिस्तान के थर्राने की बात करता है। कोई थर्राए तो तब ना जब कोई दुश्मन हो। यहाँ तो अपनी सेना अपना क्षमता दिखा रही है। बता रही है, चिंता मत करो, किसी से मत डरो। सेना देश की सुरक्षा बहुत अच्छी तरह से कर सकती है। तो फिर यह थर्राने की नहीं गौरवान्वित होने की बात है। आओ रेगिस्तान की मिट्टी के साथ हमभी गर्व करे अपनी सेना पर। उनको बधाई दें,उनके रण कौशल के लिए। जयहिंद ।
11.5.11
सैनिकों का माथा चूम रही है मिट्टी
Posted by गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर
Labels: विजयी भव
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