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11.5.11

समाजवादी विचार,लोहिया और मुलायम सिंह यादव

उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनावो में चुनाव लड़ने के लिए दल बदलने का खेल चालू हो चुका है| राजनीती के व्यवसायीकरण का ही दुष्परिणाम है कि समाजवादी विचार के राजनैतिक संघठन भी आदर्श ,सुचिता ,संघर्ष ,समर्पण को दरकिनार कर दलबदलूं लोगो को तवज्जो दे रहे हैं | भारत की राजनीति में व्याप्त विसंगतियो को बखूबी समझने वाले समाजवादी विचारक व चिन्तक राम मनोहर लोहिया का हवाला देते हुए उनके शिष्य समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कई बार कहा है की ---- डॉ लोहिया जरुर चले गये है दुनिया से लेकिन उनके विचारों को कोई नहीं मिटा सकता | उनके विचारों पे चलना पड़ेगा| आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुत ही भयावह स्थिति उत्पन्न हो चुकी है | किसानों की कृषि योग्य भूमि पर सरकारों की कुदृष्टि पड़ चुकी है | किसान जगह जगह अपना संघठन बना कर संघर्ष रत है | किसान आत्महत्या करने पर मजबूर है | खेती के औजार की जगह विवशता में किसान हथियार उठा रहे है | आज किसान आन्दोलन पे भी गन्दी राजनीति हो रही है | डॉ लोहिया के तात्कालिक अन्याय के विरोध के सिधान्त के पालन करने वाले समाजवादी कार्यकर्ता कहा है? कृषि योग्य भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के बीच संघठन करने वालो को कितना तवज्जो समाजवादी पार्टी ने दिया है? डॉ लोहिया के सिधांतो के अनुपालन में , जनसंघर्षो में जेल जाने वाले कार्यकर्ताओ का मनोबल कैसे बढेगा? अब यह प्रश्न उठना लाजिमी है | दफा १४४ जैसे काले कानों को तोड़ने में लगातार जेल जाने वाले डॉ लोहिया की विरासत को बहुत हद तक संजो कर रखने वाले मुलायम सिंह यादव के द्वारा अपने समाजवादी कार्यकर्ताओ की आगामी उत्तर प्रदेश विधान सभा की प्रत्याशिता में उपेक्षा करना हतप्रभ करने वाला ,डॉ लोहिया व समाजवादी आन्दोलन के संघर्ष के साथियो का मान मर्दन करने वाला गैर जरुरी कदम है | बसपा सरकार में वर्षो मलाई काटने वाले लोगो को समाजवादी पार्टी में स्थानीय कार्यकर्ताओ पर थोपना व विधान सभा का प्रत्याशी बनाना घोर राजनितिक अवसरवादिता है | डॉ लोहिया के अनुसार पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादियो को अपनी सफलता और कमजोरियो को जान लेना चाहिए | जहा समाजवादी ताकतवर है,वहा चुनाव समझोते की कोई जरुरत नहीं है| क्या डॉ लोहिया की इस बात पर समाजवादी नेतृत्व ध्यान देगा? उत्तर प्रदेश में बसपा के मुकाबिल समाजवादी पार्टी अपने जमीनी कार्यकर्ताओं के संघर्ष की बदौलत ही पहुची है | दल्बद्लुओ को तवज्जो दिये जाने से एक निराशा व छोभ का वातावरण व्याप्त हो रहा है | सत्ता की तरफ समाजवादी पार्टी के बढ़ते कदम को भांप के स्वार्थी प्रवृति के लोग भी समाजवादी पार्टी में शामिल हो रहे है | इनका अतीत ना तो जनसंघर्ष का रहा है ना ही संघठन के प्रति वफ़ादारी का |इनसे भविष्य में भी कोई वफ़ादारी की उम्मीद करना बेकार है ,यह सिर्फ समाजवादी पार्टी के टिकेट से विधायक बनने की लालसा में आये है| दलबदल कर आये स्वार्थी तत्वों को बढ़ावा देना,उनको चुनाव में प्रत्याशी बनाना वो भी समाजवादी कार्यकर्ताओ के रहते डॉ राम मनोहर लोहिया की आत्मा और विचारो दोनों को लहूलुहान करने वाला कृत्या है | दलबदल कर के आये लोगो को कुछ समय समाजवाद के संघर्ष में जुटाना चाहिए,एक चुनाव में इनको पार्टी के प्रचार प्रसार में लगाना चाहिए |लेकिन क्या तब यह स्वार्थी तत्त्व समाजवादी पार्टी में रहेंगे?

1 comment:

अनुनाद सिंह said...

भ्रष्टाचार में लिप्त मुलायम सीबीआई के डर से अत्यन्त मुलायम हो गये हैं। मुलायम ने समाजवादी आन्दोलन को मजाक बना दिया है। आज तक उनकी उपलब्धियाँ हैं-

१) उत्तर प्रदेश में नकल करने की छूट देना (नकल अध्यादेश जैसा महान कदम को वापस लेना)

२) गुंडों को प्रश्रय देना

३) महिला आरक्षण को पारित न होने देना (याद कीजीये लोहिया ने स्त्रियों को आगे लाने के लिये के लिये क्या नहीं किया था!)

४) देश में पाकिस्तानी तत्वों को बढ़ावा देना