अजय रावत
''अब एक बात तो सिद्ध हो चुकी है कि पाकिस्तान में ओसामा बिन लादेन तक सुरक्षित नहीं है और भारत में अफजल गुरु तक सुरक्षित है ''?
'' भारत भी अमेरिका जैसा ओपरेशन करने में सक्षम है''. हमारे शासन व् प्रशासन के तख्त पर काबिज आकाओं के बयान के आधार पर ये बात भले ही खबर बनाकर फैला दी गयी हो. मगर अपने अतीत के घाव देखकर मुझे तो ऐसा दूरतक संभव नहीं लगता. खबर आ रही है कि भारत के सबसे बड़े दुश्मन दाऊद के खात्मे का ब्लू प्रिंट तैयार हो चुका है। क्या महज ब्लू प्रिंट मात्र से ही दहशत का दरवाजा तोडा जा सकता है. भारत के सूरमा इस अभूतपूर्व ओपरेशन ओसामा को देख इतने गहरे ख्वाबों में खो गए कि वे भूल गए अफजल गुरु को. जिसने उनकी देश कि सबसे बड़ी चौपाल पर धमाका किया. वे भूल गए २६-११ को अंजाम देने वाले अजमल कसाब को, जिसने देश के कई नायाब हीरों को हमेशा की नींद सुला दिया और तमाम बेगुनाहों को बेमौत मर डाला. ये दोनों दहशतगर्द जिन्होंने हिंदुस्तान के गाल पर आतंक का तमाचा जड़ा आजतक जिन्दा हैं और अदालत से सजा होने के बाद भी सरकार उनका बाल भी बांका नहीं कर पाई. औए अबतक उनकी सुरक्षा में करोड़ों खर्च कर रही है. जब देश की जनता चीख-चीखकर इन्हें फांसी पर लटकाने की मांग करती है तो सरकारी आका बेवजह के तर्क तलाशते नजर आते है.जब अपने ही गुनाहगार को हम सजा नहीं दे सकते तो ये उम्मीद किससे और कहाँ से पनप उठी की हम भी दुश्मन की सरजमीं पर अमेरिका जैसा झंडा गाड सकते है.
ऑपरेशन किल ओसामा में पहले ही ये बात सामने आ चुकी है कि पाकिस्तान के रडार सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर ही अमेरिका पाकिस्तान में घुसा था। ठीक ऐसी खामियों को ढूंढकर हमें पाकिस्तान की सीमा में घुसना होगा। फिर तकरीबन 48 घंटे के सफर के बाद हमारा सबमरीन जब कराची की समुद्री सीमा में घुसेगा तो सबमरीन को वहीं छोड़कर हमारे 12 कमांडोज का दस्ता रबर बोट में सवार होकर सीधे कराची के पोर्ट में घुस जाएगा। बेहद ही सतर्कता के साथ वहां रॉ के अधिकारी एक बस में कमांडोज को सवार कर उन्हें दाऊद के ठिकाने तक पहुंचने का निर्देश देंगे। फिर हमारे कमांडोज ऑपरेशन किल दाऊद के लिए निकल पड़ेंगे। पहले दाऊद के बंग्ले को चारों तरफ से घेर कर ये सुनिश्चित कर लिया जाए कि किसी भी कीमत पर भारत का गद्दार बचना नहीं चाहिए। उसके बाद हमला बोलना होगा। कमांडोज एक-एक कर दाऊद के किले में घुसेंगे और दाऊद को ढूंढ कर उसका एनकाउंटर कर देंगे। लेकिन कराची जाना और ऑपरेशन किल दाऊद को अंजाम देना अमेरिका कि तरह भारत के लिए इतना आसान नहीं है. इसके लिए पहले हमारी सरकार को ठोस और सख्त कदम उठाने पड़ेंगे। इंटेलिजेंस को पुख्ता करना होगा। अपने सैटेलाइट्स को अपग्रेड करना होगा। लेकिन दुःख है कि भारत शायद कभी भी पाकिस्तान में बैठे आतंक के आका और हिंदुस्तान के गद्दार दाऊद का शिकार नहीं कर सकता। भारत के लिए अमेरिका जैसा ऑपरेशन मुमकिन नहीं।
अजय रावत
बी पी एन टाइम्स
१३३, शारदा विहार सिटी सेंटर
ग्वालियर.
मोबाईल: 09425337479
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3 comments:
असल में भारत भले ही सक्षम हो और सरकार इच्छाशक्ति भी पैदा कर ले, लेकिन भारत अमेरिका जितनी हैसियत थोडे ही रखता है, इसलिए यह कहना जरूर आसान है कि भारत को हमला बोलना चाहिए, मगर यह है उतनी ही कठिन
भारत की जनता तो बहादुर है लेकिन नेता कायर है । ये पाकिस्तान में घुसकर अपराधियों क्या मारेगे , ये तो देश की जेलों में बन्द देशद्रोहियों को भी मारने की सामर्थ्य नहीं रखते ।
सुन्दर आलेख ..... आभार ।
www.satyasamvad.blogspot.com
युगों युगों से यही हमारी बनी हुई परिपाटी हे
सारे जग में जो पिटता हे समजो हिन्दुस्तानी हे
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