इक्कीसवाँ सम्मेलन
ए0आई0एस0एफ0 का इक्कीसवाँ सम्मेलन त्रिची, तमिलनाडु में 28-31 जनवर 1983 को हुआ। मार्च 1983 को दिल्ली में 7वाँ गुटनिरपेक्ष सम्मेलन आयोजित होना था जिसके समर्थन में ए0आई0एस0एफ0 ने कई सेमिनारों, गोष्ठियों और बैठकांे का आयोजन किया। युवा दिवस के अवसर पर दिल्ली से हुसैनीवाला तक साइकिल रैली आयोजित की गई जिस पर पंजाब के खालिस्तानी नेता भिंडरवाले के भाई की देख-रेख में हमला किया गया। दोहरी शिक्षा पद्धति के विरुद्ध सितम्बर 1983 में बनारस से देहरादून तक एक साइकिल जत्थे का आयोजन किया गया जिसमें 50 सक्रिय कार्यकर्ताओं ने भाग लिया और यह जत्था 1400 किलोमीटर का सफर तय करके 20 दिनोें में देहरादून पहँुचा। जहाँ दून स्कूल के बाहर इस जत्थे पर जबरदस्त लाठीचार्ज हुआ और इसमें कई छात्र नेता घायल हुए अतुल कुमार अंजान के सिर पर भी काफी चोट आईं। बावजूद इस सबके आंदोलनकारी छात्रों को जेल में ठूस दिया गया। ए0आई0एस0एफ0 ने इस दौरान विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गैर जनवादी रिपोर्ट के खिलाफ जहाँ मार्च 1983 में अखिल भारतीय प्रतिरोध दिवस का आयोजन किया तो वहीं ए0आई0वाई0एफ0 के संसद मार्च में भी सक्रिय सहयोग किया। 13 सितम्बर को भी ए0आई0एस0एफ0-ए0आई0वाई0एफ0 ने मिलकर संयुक्त रुप से प्रतिरोध दिवस का आयोजन किया। जिसमें दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों से 5 हजार छात्रों ने भागीदारी की। इसके अलावा और 14 राज्यों में भी इसी दिन प्रतिरोध दिवस मनाया गया। ए0आई0एस0एफ0 ने 1984 में हुई इंटरनेशनल यूनियन आॅफ स्टूडेन्ट्स की 14वीं कांग्रेस में सोफिया (बुल्गारिया) में शिरकत की तो वहीं 1985 में मास्को में संपन्न 12 वें अन्तर्राष्ट्रीय छात्र एवं युवा महोत्सव में भी भाग लिया।
बाइसवाँ सम्मेलन
ए0आई0एस0एफ0 का बाइसवाँ सम्मेलन 13-16 दिसम्बर 1985 को गुंटूर,
आन्ध्र प्रदेश में संपन्न हुआ। सम्मेलन के फौरन बाद 14 फरवरी 1986 को संगठन ने केन्द्र सरकार के शिक्षा पर नकारात्मक रुख वाले एक दस्तावेज के खिलाफ प्रतिरोध दिवस मनाया। इसके बाद 13 सित्मबर 1986 को भी सरकार की नई शिक्षा नीति के खिलाफ प्रतिरोध दिवस मनाया। यह वह समय था जब देश में एक तरफ अलगाववादी, साम्प्रदायिक और जातिवादी ताकतंे सिर उठा रही थीं जो देश की एकता अखण्डता के लिए गंभीर खतरा था तो दूसरी तरफ आम आदमी बढ़ती महँगाई और सरकार की जन विरोधी नीतियों से परेशान था। ऐसे समय में ए0आई0एस0एफ0 और ए0आई0वाई0एफ0 ने संयुक्त रूप से ‘‘बचाओ भारत-बदलो भारत‘‘ नारे के तहत जनवरी से मार्च तक तीन साइकिल जत्थों के रूप में देश की एकता अखण्डता बनाए रखने के लिए और जनविरोधी नीतियांे के खिलाफ एक बड़े अभियान की शुरुआत की। इस कार्यक्रम का समापन 26 मार्च को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में एक रैली के रूप में हुआ जिसमें हजारों छात्रों नौजवानों ने भाग लिया।
ए0आई0एस0एफ0 की पचासवीं स्वर्ण जयन्ती
ए0आई0एस0एफ0 ने 50 साल पूरे होने पर लखनऊ में 12 से 14 अगस्त 1986 को बेहद शानदार तरीके से अपनी स्वर्ण जयन्ती मनाई। इस आयोजन की शुरुआत पहले दिन की बड़ी रैली से हुई। स्वर्ण जयन्ती समारोह का उद्घाटन महान स्वतंत्रता सेनानी बाबा पृथ्वी सिंह आजाद ने किया। 22 देशों के बिरादराना संगठनों के 27 प्रतिनिधियों ने भी इस समारोह में भागेदारी की। ए0आई0एस0एफ0 की स्थापना करने वालों में एक हरीश तिवारी के साथ एम0 फारुकी, ए0बी0 बर्धन, प्रशान्त सान्याल, विश्वनाथ मुखर्जी, गीता मुखर्जी, रमेश सिन्हा, सुनील सेनगुप्ता, शफीक नकवी, एच0के0 व्यास और प्रो0 संतोष भट्टाचार्य आदि आन्दोलन के कई वरिष्ठ साथियांे ने भी इस सम्मेलन में भाग लिया। समारोह के बहाने पुराने दिनों को याद करना, संगठन के लिए गौरवमयी पलांे को जीने के समान था और पुराने गौरव से मिलने का नए छात्रों का उत्साह भी उल्लेखनीय था।
इस यादगार समारोह के बाद ए0आई0एस0एफ0 ने नई शिक्षा नीति के खिलाफ आन्दोलन की फिर से कमान सँभाल ली। जहाँ सितम्बर 1988 में विरोध दिवस मना कर प्रतिरोध की शुरुआत की तो वहीं दिसम्बर 1986 को रेल रोको आंदोलन ने इस
विरोध को नई ऊँचाइयाँ दीं। 1988, छात्र युवा आंदोलन के उभार का समय था बिहार, बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, मणिपुर, यू0पी0, आन्ध्र प्रदेश और दिल्ली में सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन हुए। कर्नाटक, राजस्थान में भी आंदोलन और प्रदर्शन हुए तो वहीं हरियाणा, पंजाब और यू0पी0 में छात्र-युवा कंवेंशन भी हुए। इसी समय पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन के कारण हालात बद से बदतर हो रहे थे। ए0आई0एस0एफ0 ने अन्य जनवादी और वामपंथी संगठनों के साथ मिलकर खालिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की कमान सँभाली। ए0आई0एस0एफ0-ए0आई0वाई0एफ0 ने आतंकवाद का सामना करते हुए अपने कई साथियों की कुर्बानी दी। ठीक इसी समय आर0एस0एस0 और भा0ज0पा0 के नेतृत्व में साम्प्रदायिक ताकतें भी मजबूत हो रही थी। राम जन्मभूमि और बाबरी मजिस्द को मुद्दा बनाकर हिंदू और मुस्लिम साम्प्रदायिकों ने देश में राजनैतिक ध्रुवीकरण और साम्प्रदायिक विभाजन के एक नए युग की शुरुआत कर दी थी। देश की एकता अखण्डता को चुनौती देनी वाली इस साम्प्रदायिक विभाजन की राजनीति को भा0ज0पा0 की रथयात्रा ने साम्प्रदायिक सद्भाव की तबाही के रूप में बदल दिया। ए0आई0एस0एफ0 ने दूसरी धर्मनिरपेक्ष शक्तियों के साथ मिलकर देश की एकता अखण्डता को बचाने के लिए सघन अभियान की शुरुआत की। यू0पी0 ए0आई0एस0एफ0 ने खासतौर पर धर्मनिरपेक्षता के लिए और साम्प्रदायिकता के खिलाफ राज्य व्यापी अभियान चलाया। यह वह समय था जब राजीव गाँधी अपनी साफ छवि के साथ सत्ता में आए थे परन्तु थोड़े दिन में ही उनकी यह छवि धूमिल हो चुकी थी। वाम और जनवादी शक्तियों के साथ मिलकर ए0आई0एस0एफ0 ने इस दौरान एक जुझारू आंदोलन की शुरूआत की जिसके तहत दिल्ली में ‘‘राजीव गांधी गद्दी छोड़ो‘‘ के नारे के साथ 9 दिसम्बर 1987 को एक ऐतिहासिक रैली का आयोजन किया गया। इसी कड़ी में आगे चलकर 15 मार्च 1988 को आयोजित भारत बंद में भी ए0आई0एस0एफ0 ने देश भर में शिक्षण संस्थानों को बंद करवाने में बड़ी भूमिका अदा की। ए0आई0एस0एफ0 ने 30 अगस्त के भारत बंद में भी महत्चपूर्ण भाूमिका अदा की। ए0आई0एस0एफ0 -ए0आई0वाई0एफ0 ने मंडल कमीशन के समर्थन में और शिक्षा एवं काम के अधिकार की माँग को लेकर 9 सितम्बर 1990 को संसद के सामने बोट क्लब पर प्रदर्शन किया।
इसके अलावा कई अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दांे को लेकर भी ए0आई0एस0एफ0 ने जुझारू आंदोलन किए। स्टूडेन्ट्स फेडरेशन के 50 छात्रों ने लीबिया पर अमेरिकी हमले के विरोध में दिल्ली के अमेरिकन सेन्टर पर कब्जा किया। 9 सितम्बर 1987 को नेल्सन मंडेला की आजादी और नस्लवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाया गया। 2 अक्टूबर 1987 को दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के प्रति एकजुटता दिवस के रूप में मनाया गया। इसी दिन दिल्ली ए0आई0एस0एफ0 के छात्र-छात्राओं ने ब्रिटिश काउंसिल पर कब्जा करके विरोध व्यक्त किया। नेल्सन मंडेला के जन्म दिवस के मौके पर उनकी रिहाई के लिए ए0आई0एस0एफ0 ने ब्रिटिश काउंसिल के समक्ष प्रदर्शन किया और इसके अलावा केरल इकाई ने 50 हजार हस्ताक्षर करा कर विरोध व्यक्त किया। इसी बीच ए0आई0एस0एफ0 ने फिलीस्तीन के समर्थन में भी कईं कार्यक्रमों का आयोजन किया। 18 मई 1988 को फिर ए0आई0एस0एफ0 ने अमरीकन सेन्टर पर कब्जा करके फिलीस्तीन की संयुक्त राष्ट्र से सदस्यता समाप्त करने सम्बंधी बयान का विरोध किया। 8-15 दिसम्बर 1988 को ए0आई0एस0एफ0 केरल ने फिलीस्तीन सप्ताह के रूप में मनाया। 13 वें विश्व छात्र-युवा महोत्सव का आयोजन जुलाई 1987 में किया गया जिसकी तैयारी के लिए कई कार्यक्रम भारत में भी आयोजित किए गए।
23वाँ ए0आई0एस0एफ0 सम्मेलन
ए0आईएसएफ का 23वाँ सम्मेलन फरवरी 1991 में बोकारो में आयोजित किया गया। इस समय तक कई राजनैतिक बदलाव और आंदोलन देश भर के पैमाने पर हो रहे थे जिसमें ए0आई0एस0एफ0 ने सराहनीय एवं महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। 1991 का वह समय था जब नरसिंह राव सरकार विश्व बैंक के पूर्व अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह के निर्देशन में देश में निजीकरण, उदारीकरण और भूमंडलीकरण की नीतियाँ लागू कर रही थी। साथ ही दक्षिणपंथी आर्थिक नीतियों की प्रबल पैरोकार भा0ज0पा0 भी राम जन्मभूमि के अपने प्रतिक्रियावादी एजेंडे के द्वारा लोगांे का ध्यान भटका कर नई आर्थिक नीतियों को लागू करवाने में सहायक की भूमिका अदा कर रही थी। ऐसी स्थिति में ए0आई0एस0एफ0 और ए0आई0वाई0एफ0 ने वाम जनवादी शक्तियों के साथ मिलकर कांग्रेस की नई आर्थिक नीतियों और भा0ज0पा0 के साम्प्रदायिक एजेंडे का एक साथ विरोध किया।
ए0आई0एस0एफ0 का 24वाँ सम्मेलन
7-9 फरवरी 1996 को हैदराबाद में संपन्न हुआ। ए0आई0एस0एफ0 ने दूसरे वामपंथी जनवादी छात्र संगठनों के साथ मिलकर 29 नवम्बर 1995 को अखिल भारतीय हड़ताल करके शिक्षा बचाओ आन्दोलन को आगे बढ़ाया। ए0आई0एस0एफ0 ने 1996 में देशभर में अपनी 60वीं सालगिरह मनाई। ए0आई0एस0एफ0 की छात्राओं ने 1998 में उड़ीसा में धरना आयोजित किया साथ ही देशभर में प्रतिक्रियावादी ताकतों के नारीवादी विरोधी रुख के खिलाफ कार्यक्रम आयोजित किए। 11 दिसम्बर 1998 को अखिल भारतीय छात्र हड़ताल का आयोजन किया गया।
ए0आई0एस0एफ0 का पच्चीसवाँ सम्मेलन
18-21 अक्टूबर 2000 को जालांधर में आयोजित किया गया था। 2000 विभिन्न मुद्दों पर ए0आई0एस0एफ0 के सक्रिय आंदोलनांे का साल था। तमिलनाडु का शिक्षा
अधिकार दिवस, आसाम का विधानसभा मार्च, कोल्लम का छात्र आन्दोलन, बैंगलोर का फाईन आर्टस छात्र आंदोलन, उड़ीसा बाढ़ राहत अभियान और कई राज्यों के सम्मेलन इस साल की मुख्य घटनाएँ थीं। ए0आई0एस0एफ0 ने 6 जुलाई 2001 को शिक्षा के भगवाकरण के खिलाफ विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के समक्ष प्रदर्शन किया। ए0आई0एस0एफ0 ने 8-16 अगस्त 2001 में अलजीरिया में आयोजित 15 वें छात्र युवा महोत्सव में भाग लिया। ए0आई0एस0एफ0 की स्थापना के 65 वर्ष पूरे होने पर हैदराबाद में छात्र एवं युवा राष्ट्रीय महोत्सव का सफल आयोजन किया। बिहार ए0आई0एस0एफ0 ने शिक्षा बोर्ड में भ्रष्टाचार और फीस वृद्धि के खिलाफ विधानसभा का घेराव किया। महाराष्ट्र एस0एफ0 ने भी छात्रांे की विभिन्न समस्याओं को लेकर अक्टूबर 2002 में विधानसभा का घेराव किया। कुछ छात्र विरोध स्वरूप दर्शक दीर्घा से विधानसभा गैलरी में कूद गए। 29 नवम्बर 2002 को ए0आई0एस0एफ0 ने संसद चलो का नारा दिया जिसमें बड़ी संख्या में देशभर से छात्रों ने भाग लिया। केरल ए0आई0एस0एफ0 ने भी छात्रों की विभिन्न समस्याआंे को लेकर 2003 में विधानसभा का घेराव किया। पुलिस ने छात्रांे पर लाठीचार्ज किया और बड़ी संख्या में छात्रों को जेल में भी डाल दिया।
ए0आई0एस0एफ0 का छब्बीसवाँ सम्मेलन
छब्बीसवाँ सम्मेलन 3-6 जनवरी 2006 को चेन्नई में हुआ और सत्ताईसवाँ सम्मेलन 13-15 फरवरी 2010 को पंाडेचेरी में संपन्न हुआ। सम्मेलन का नारा था ‘‘शिक्षा का व्यवसायीकरण और बाजारीकरण बन्द करो‘‘। 24 राज्यों के लगभग 1000 प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। सम्मेलन में ‘‘ भारत में शिक्षा व्यवस्था का संकट‘‘ विषय पर एक सेमिनार का आयोजन भी किया गया जिसे सांसद व भा0क0पा0 राष्ट्रीय सचिव डी0 राजा और प्रख्यात शिक्षाविद् अनिल सदगोपालन ने संबोधित किया।
अब ए0आई0एस0एफ0 अपने 75 वर्षांे के गौरवशाली इतिहास को याद करने और भविष्य की चुनौतियों से संघर्षो की तैयारी करने के लिए 12-13 अगस्त 2011 को फिर से लखनऊ के उसी सर गंगा राम मेमोरियल हाॅल में अपनी 75वीं जयन्ती मनाने के लिए एकत्रित हो रहा है जहाँ 1936 में इसकी स्थापना हुई थी।
समाप्त
1 comment:
सुंदर श्रेष्ठ रचना के लिए बधाई
connect your goodness to people and your pious movement will flourish again.
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