या सुभाष या पटेल चाहिये
या सुभाष या पटेल चाहिये
स्वतंत्रता के ६४ वर्ष बीतने के साथ हम आत्म विश्लेष्ण करे कि क्या सिर्फ अंग्रेजो के शासन से मुक्त होना ही हमारा लक्ष्य था या इसके आगे भी हमने कोई सपना देखा था. क्या वर्तमान स्थिति जिसमे हम भारतीय जीवन खेंच रहे हैं उससे संतुष्ट हैं .
हम यहाँ खड़े हैं---
१.आज हमारे देश में गरीबी-रेखा के निचे जीवन जीने वाले करोड़ों भारतीय भूख से बिलबिला रहे हैं.
२.हमारे देश में पीने का पानी भी समुचित रूप से हर गाँव,शहर,महानगर में पर्याप्त रूप से उपलब्ध नहीं है.
३.आज भी लाखो गाँव बिजली की सुविधा से वंचित हैं.
४.हमारी सड़क परिवहन व्यवस्था गाँवों और कस्बों तक नहीं पहुँच पायी है.
५.हमारी ग्रामीण और कस्बो की सरकारी शिक्षा व्यवस्था अधकचरी है.
६.हमारे गाँव और कस्बों में प्राथमिक चिकित्सा व्यवस्था दोयम दर्जे की भी नहीं है.
७.हमारा किसान भुखमरी, गरीबी से त्रस्त है .
८.हमारे पास शिक्षित बेरोजगारों की अंतहीन कतार लगी है.
९.हमारे देश में गरीब मिटता जा रहा है,गरीबी द्रोपदी का चीर बन गयी है.
१०.हमारे पास विश्व की बड़ी थल सेना है फिर भी घुसपेट रुक नहीं पायी है.
११. हमारे पडोसी देश मन आये तब देश को दहला देते है और हम बचकानी बयान बाजी कर चुप हो जाते हैं.
१२. हमारी न्याय प्रणाली में न्याय पाने के लिए तरसना पड़ता है.
१३.हमारे पुलिस तंत्र पर आम जन को गहरी शंका है.
१४.हमारे जन प्रतिनिधि रिश्वत खोर होते जा रहे हैं.
१५.हमारे विधायक और सांसद की निगाह सिर्फ वोट पर टिकी है.
१६.हमारी सरकार के नुमायंदे खुद को ही संविधान समझते हैं.
१७.हमारे विभागीय मंत्री योग्यता के आधार पर चयनित नहीं होते हैं,हम मंत्री-पद भी जातिगत समीकरण को
ध्यान में रख कर बाँटते हैं.
१८. हमारे राजनीतिक दल समस्या के समाधान पर कम बल्कि केंकड़ा वृति पर ज्यादा ध्यान देते हैं.
१९. हम बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समाज में बँटे हैं क्योंकि हम भारतीय समाज ही नहीं बना पाये हैं.
२०.हम संसद में देश के धन, समय, स्वाभिमान का हरण करते रहते हैं.
२१.हम विदेशी आकाओं के ऐसे निर्णय भी दबाब में आकर मान लेते हैं जिससे देश का गौरव घायल हो जाता है.
२२.हम एक नहीं हजारों इस्ट इंडिया कम्पनियों को निमंत्रण दे रहे हैं.
२३. हमारे विशाल ज्ञान के भण्डार पर विदेशी अपना अधिकार जता रहे हैं.
२४. देश हित के ऊपर हमारे नेताओं का अहंकार झलकता है.
२५.हमारी अति-अंहिंसा की भावना हमें कायर, दब्बू और डरपोक बना रही है.
२६.हम पार्टी के प्रति समर्पित हैं,मगर देश के प्रति नहीं.
२७.हम स्वार्थ, पद का दुरूपयोग ,हराम के पैसे की कमाई , अनैतिकता ,लुच्चाई ,धूर्तता में आकंठ डूबे हुये हैं.
२८. हम सोये रहने में अपनी भलाई देखते हैं
२९.जो राज्य सरकारे सही दिशा में गतिशील हैं हम उनकी गति को बाधित करते हैं.
३०. हमारे गुनाह परदे में रहे इसलिए हम बेगुनाह जनता पर क्रूरता करते है.
क्या करे अब ?????????
माँ भारती की शान के लिए---
या सुभाष चाहिये या पटेल चाहिये
1 comment:
बहुत खूबसूरत पोस्ट आभार
भारतीय स्वाधीनता दिवस पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं .
Post a Comment