बदल सकते हो तुम तस्वीर हिंदुस्तान की
वक्त की धारा बदल दो , हिंद की पुकार है,
जागो ,उठो,चलो वहां ,जहाँ क्रांति की बयार है.
धुं-धुं कर के जल उठो ,धुँआ फैलाना पाप है ,
लक्ष्य के करीब पहुंचकर , शस्त्र फेंकना पाप है.
लड़ रहे हैं बुढ्ढे सिपाही ,तुम युवा होकर सो रहे,
लानत है ऐसी जवानी , अब मुंह छिपाना पाप है.
देश दिया था जिन हाथों में, हाथ वो लाचार है,
मर चुकी है सोच उनकी , बढ़ चूका अब पाप है.
भ्रष्ट हुआ है तंत्र सारा , गिरने वाली गाज है,
नहीं भरी हुंकार जोश से , आगे फिर अभिशाप है
धूर्त ,चोर , बईमान; फेक रहे अब पासे हैं,
छल से चाले चल रहे , वो राष्ट्र द्रोही हैवान हैं.
भ्रष्टाचार को सहते रहना बहुत बड़ा अब पाप है,
रणबाँकुरो शंख फूंक दो ,जंग हारना पाप है.
क्या होता है असंभव ,हमने कभी ना जाना है ,
दुष्ट दमन के खातिर ,हमने पहना केसरी बाना है
आने वाला कल बदलना ,हम खुद को अब आता है
चलो,हटो छद्म नेताओ ,हमें जन लोकपाल को लाना है
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