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15.8.11

बदल सकते हो तुम तस्वीर हिंदुस्तान की


बदल सकते हो तुम तस्वीर हिंदुस्तान की



वक्त की धारा बदल दो , हिंद की पुकार है,
जागो ,उठो,चलो वहां ,जहाँ  क्रांति की बयार है.

धुं-धुं कर के जल उठो ,धुँआ फैलाना पाप है ,
लक्ष्य के करीब पहुंचकर , शस्त्र फेंकना पाप है.

लड़ रहे हैं बुढ्ढे सिपाही ,तुम युवा  होकर सो रहे,
लानत है ऐसी जवानी ,  अब मुंह छिपाना पाप है.

देश दिया था जिन हाथों में,  हाथ वो लाचार है,
मर चुकी है सोच उनकी , बढ़ चूका अब पाप है.

भ्रष्ट हुआ है तंत्र सारा ,      गिरने वाली गाज है,
नहीं भरी हुंकार जोश  से , आगे फिर अभिशाप है

धूर्त ,चोर , बईमान;  फेक रहे अब पासे हैं,
छल से चाले चल रहे ,  वो राष्ट्र  द्रोही हैवान हैं.

भ्रष्टाचार को सहते रहना बहुत बड़ा अब पाप है,
रणबाँकुरो  शंख फूंक दो ,जंग हारना पाप है.

क्या होता है असंभव ,हमने कभी ना जाना है ,
दुष्ट दमन के खातिर ,हमने पहना केसरी बाना है 

आने वाला कल बदलना ,हम खुद को अब आता है
चलो,हटो छद्म नेताओ ,हमें जन लोकपाल को लाना है


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