अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
ये केवल टीवी कैमरों में फोकस पाने का आन्दोलन नहीं है,ये जनता का उभार है,अपनी संस्कारगत कमियों के बावजूद सत्ता को चुनौती देने का.आखिर संविधान हम भारत के लोगों को ही प्रभुता देता है.अभी तक हमने जों गड़बड़ की उससे इस भ्रष्ट तंत्र को मजबूती ही मिली पर अब एक बूढा सिपाही ,जिसका जोश कहता है अब बस करो अब और बर्दास्त नहीं होगा ,ललकार रहा है । निश्चित ही ये ललकार बहुत आगे तक जाएगी,क्योंकि कभी मैं भी गाँधी ,तू भी गाँधी नहीं नहीं सुना गया था .अब मैं भी अन्ना और तू भी अन्ना गूँज रहा है तो इसमें ग्लोबल होतेमध्यवर्गीय समाज और जनहित से कटते जाते युग में एक नया मोड़ आने की संभावनाएं दिखती हैं.जिसे गाँव गिरांव से लेकर लेह और चेन्नई तक समर्थन मिल रहा है.
Post a Comment
Bhadas4media
Enter your email address:
Delivered by FeedBurner
No comments:
Post a Comment