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4.10.11

जब बच्चा रो पड़ा


जब बच्चा रो पड़ा 

वनवासी बंधुओ की सहायतार्थ एक दल गुजरात और महाराष्ट्र में काम कर रहा है .उस दल का एक सदस्य मेरा 
मित्र है .उसके द्वारा वनवासी बंधुओ की माली हालत को सुनने का मेरे को मौका मिलता रहा है .गेंहू ,चावल ,
 बाजरा मक्का,ज्वार आदि पदार्थ तो उन्हें यदा कदा ही खाने को मिलते हैं वो लोग अपना पेट जंगली 
बीजो की रोटियाँ बनाकर भरते  है .शिक्षा का हाल तो बहुत बेहाल है पांच से सात किलोमीटर पर निम्न दर्जे के 
स्कुल टूटी फूटी खस्ता हाल कमरों में चलते हैं .यातायात के साधन का नामोनिशान  तक नहीं है .ऐसे सुदूर इलाको
 में पहुँच कर यह दल अपनी सेवा देता आया है .तीन  सांधे तो तेरह टूटे वाला हाल है .वनवासी बेकार ,अशिक्षित हैं लेकिन शराब पीते हैं 


ऐसा ही एक वाकया जो विडम्बना ही कहा जा सकता है वो आपके साथ बांटना चाहूँगा -

        एक बार ये दल विद्या दान के लिए वनवासी स्कुल में पहुंचा .वह स्कुल एक मास्टर के भरोसे चल रहा था .
बच्चो के लिए एक कमरा था जो जर्जर हालत में था .बच्चो की संख्या बहुत कम थी क्योंकि ज्यादातर बच्चे 
स्कुल जाते ही नहीं हैं और जो बच्चे आते हैं वो भी काफी पैदल चल कर .उस दल ने स्कुल के बच्चो को चिन्हित
किया और एक बच्चा सात किलोमीटर पैदल चल कर आता था उसे आने जाने के लिए साइकिल दिला दी .
बच्चा साइकिल देखकर भाव विभोर हो गया था उसने पुरे दल के प्रति कृतज्ञता प्रगट की और यत्न पूर्वक पढने 
का वचन दिया .
सेवा दल ने स्कुल के मास्टर को अपना फोन नंबर दिया और आगे की जरूरतों के लिए किताबों -नोटबुक आदि 
लेखन सामग्री बांटने का फैसला किया .उस बच्चे को भी उन्होंने अपना फोन नंबर दिया और प्रोत्साहन के लिए 
उसकी आगे की जरुरत में भी सहायता करने का वचन दिया .
सेवा दल वापिस अपने गंतव्य स्थान पर लौट आया .तीन -चार दिन बाद सेवा दल के पास उस लड़के का फोन 
आया .वह बच्चा फोन पर रोने लग गया था .जब उससे उसके रोने का कारण पूछा तो उसने बताया -वह 
साइकिल लेकर ख़ुशी ख़ुशी अपने घर गया और अपनी माँ-बापू को साइकिल मिलने की बात बतायी .उस 
दिन तो उसके बापू खुश हुए और बच्चे के सुन्दर भविष्य के सपने भी संझोये लेकिन दौ दिन बाद ही शराब की 
तलब के चलते उसने वो साइकिल बेच दी और उन पेसो की शराब पी गया .
यह सुन में सन्न रह गया .कैसे सुधार होगा मेरे देश के वनवासियों का .कौन करेगा इस अंधकार को दूर ?
कैसे होगा उनका विकास .       

2 comments:

अजित गुप्ता का कोना said...

ऐसा लग रहा है कि यह वाकया कई वर्ष पुराना है। अब हालात सुधर रहे हैं। शराब में कोई सुधार नहीं है।

Unknown said...

यह सचाई काफी पुरानी नहीं है क्योंकि वनवासी इलाको का देश में बुरा हाल है आपको जानकर ताजुब होगा की गोधरा के पास धानपुर वनवासी इलाको में आज भी वनवासी घास को उबाल कर रोटी बनाकर खाते हैं .अपना देश दौ अर्थ व्यवस्था में जी रहा है एक और चकाचोंध है दूसरी और गहन अँधेरा .मैं आपको २० oct के बाद इस गाँव की कुछ तस्वीरे भेजना चाहूंगा ताकि हम देश की इस तस्वीर को भी समझ सके . आभार .