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19.1.12

जूतम पैजार

जूतम पैजार

पिछले कुछ समय से जूते का चलन बढता जा रहा है....फर्क सिर्फ इतना है कि पहले जूता सिर्फ पैर में नजर आता था.....लेकिन अब जूता हाथों में हथियार के रूप में नजर आता है...इसका पहला फायदा तो ये है कि आसानी से आप जूते को कडी से कडी सुरक्षा वाली जगह पर ले जा सकते हैं...और मौका मिलने पर भरी सभा में सामने वाले की ईज्जत उतार सकते हैं...औऱ इससे सामने वाले को ऐसी चोट लगती है....कि शायद ही सामने वाले इसका दर्द कभी भूल पाये।
जूता मारने की परंपरा तो बरसों से रही है...कभी चोरी करते पकडे गये किसी चोर को जुतिआया जाता रहा है...तो कभी मनचलों की जूतम- पैजार होती आयी है...लेकिन सबसे पहले जूता रूपी अस्त्र तब सुर्खियों में आया जब ईराक में जॉर्ज बुश पर चला था जूता। पत्रकार मुंतज़र-अल-जैदी ने सबके सामने एक के बाद दो जूते दे मारे थे बुश पर लेकिन किस्मत अच्छी थी कि बच गए बुश।
इसके बाद हिंदुस्तान में भी पत्रकार मुंतज़र-अल-जैदी का फार्मूला खूब हिट हुआ औऱ जूता बन गया नया हथियार...इसके पहले शिकार बने हमारे गृहमंत्री पी चिदंबरम...फिर बारी थी बरसों से पीएम इन वेटिंग लाल कृष्ण आडवाणी की...हथियार रूपी जूते का ये सिलसिला यहीं नहीं रूका समय समय पर इसका भरपूर उपयोग होता रहा...कभी कांग्रेस नेता जनार्दन द्रिवेदी तो कभी सांसद नवीन जिंदल पर। ऐसा नहीं है कि सिर्फ राजनेता ही सरेआम बेईज्जत हुए...टीम अन्ना के सदस्य प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल पर भी ऐसे ही हमले हुए। प्रशांत भूषण को जहां एक युवक ने उऩके केबिन में घुसकर जमकर लात घूसों से पीटा...वहीं केजरीवाल पर लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान चप्पल फेंकी गयी।
भरी सभा में नेताओं को बेईज्जत करने का ये तरीका भी खूब हिट हो रहा है। गाहे बगाहे लोग नेताओं पर जूते – चप्पल मारकर उन्हें बेईज्जत करने में नहीं चूक रहे हैं। नेताओं को सरेआम बेईज्जत करने का ये चलन अब दूसरे रूप में भी सामने आ रहा है...जिसके पहले शिकार बने केन्द्रीय मंत्री शरद पवार...एक कार्यक्रम में पहुंचे शरद पवार को तो एक युवक ने उस समय जोरदार थप्पड रसीद कर दिया जब वे पत्रकारों के कुछ सवालों का जवाब दे रहे थे। शरद पवार भले ही युवक के खिलाफ कोई कारवाई न करने की बात कर रहे हों...लेकिन सरेआम कैमरे के सामने पडे थप्पड़ का दर्द शायद ही शरद पवार कभी भूल पाएं।
ऐसा ही कुछ घटनाक्रम पिछले दिनों बाबा रामदेव के साथ भी घटा...जब एक व्यक्ति ने उऩके चेहरे पर दिल्ली में पत्रकार वार्ता के दौरान काली स्याही डाल दी...हालांकि यहां पर बाबा रामदेव के समर्थकों ने इसके पीछे कांग्रेस का हाथ बताते हुए बदले के भाव से दिल्ली में कांग्रेस दफ्तर के बाहर सोनिया गांधी के पोस्टर पर कालिख पोत दी। ये कुछ एक उदाहरण थे जो बीते कुछ समय में घटित हुए...जिनके जरिए कहीं पर नाराज लोगों ने अपने – अपने तरीके से सामने वाले को बेईज्जत किया। हालांकि ज्यादातर ऐसे मामलों में इसके शिकार नेताओं ने बेईज्जत करने वाले को माफ कर बडप्पन दिखाने का प्रयास किया...लेकिन इसका दर्द शायद ही उनके दिल से कभी जाए।
कुल मिलाकर पैरों की शान बढाने वाला जूता जाने कब किसके सिर का ताज बन जाए...कहना मुश्किल है। कभी दूसरों को अपने जूते की नोंक में रखने वाले नेताओं को इसी जूते का भय अब सताने लगा है। 
एक कहावत आपने भी शायद सुनी होगी कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते...ये बात अब शायद आमजनता को भी समझ आ गयी है...इसलिए जनता के पैसे को लूटने वाले भ्रष्ट नेताओं को सबक सिखाने के लिए लोगों ने जूते – चप्प्ल...लात – घूंसे सबका इस्तेमाल बेधडक शुरू कर दिया है...शायद जूतम पैजार के डर से ही सही भ्रष्ट नेताओं को थोडी अक्ल आ जाए। देखते हैं हमारे राजनेताओं को अक्ल आती है या एक बार फिर किसी कोने से किसी नेता पर जूता चलने की खबर पहले आती है।

दीपक तिवारी

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