शंकर जालान
सालों पुराना एक गाना है - धीरे-धीरे बोल कोई सुन ना ले, सुन ना ले कोई सुन ना ले। इस गाने को चरितार्थ करते हुए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राइटर्स बिल्डिंग स्थित कक्ष में अब साउंड प्रूफ दरवाजे लगा दिए गए हैं। सुना जा रहा था कि मुख्यमंत्री को इस बात का शक था कि जब वे मंत्रियों या अन्य लोगों से बातें करती हैं तो बाहर इंतजार में बैठे लोग सुन लेते हैं और उनकी बातें ‘लीक’ हो जाती हैं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस के एक नेता व ममता बनर्जी के करीबी का कहना है कि बाहर इंतजार में बैठे लोग जोर- जोर से बोलते रहते हैं, इससे मुख्यमंत्री को डिस्टर्ब होता है, इसलिए साइंड प्रूफ दरवाजे लगाए गए हैं।
इस बात राइटर्स बिल्ंिडंग के एक अधिकारी का कहना है कि कुछ खुफिया किस्म के लोग मुख्यमंत्री की बातों पर कान लगाए रहते थे। मुख्यमंत्री के दरवाजे में फांक थी, इसलिए उनकी बातें बाहर बैठे लोगों को सहज ही सुन लेते थे। वे कुछ ज्यादा ही जोर से बोलती हैं। बीते दिनों साप्ताहिक अवकास के दिन उनके कक्ष में साउंड प्रूफ दरवाजा लगा। वे पार्टी नेताओं से जो भी बातें करती थीं, लीक हो जाती थी। गला, नाक और कान के एक विशेषज्ञ डाक्टर का कहना था कि महिलाओं की आवाज पुरुषों की तुलना में जोरदार होती है। उनकी सामान्य ढंग से की गई बातचीत दूर से ही साफ-साफ सुनी जा सकती है। ममता बनर्जी की आवाज सामान्य से तेज है।
मुख्यमंत्री सचिवालय के एक अधिकारी के मुताबिक ममता बनर्र्जी रविवार को राइटर्स बिल्डिंग नहीं आई थीं। उसी दिन साउंड प्रूफ दरवाजा लगा दिया गया। उन्होंने अपनी कुर्सी बदलने को भी कहा है। वे अब तक रिवाल्विंग चेयर पर बैठती थीं, लेकिन अब वे चाहती हैं कि उनके लिए काठ की कुर्सी लाई जाए, जिसका पीठ वाला हिस्सा ऊंचा हो। ऐसी कुर्सी का इंतजाम जल्दी ही हो जाएगा।
मालूम हो कि इसके पहले मुख्यमंत्री के कक्ष की दीवारें नए सिरे से पेंट की गईं। सारा फर्नीचर नया लगाया गया। दीवार पर रवींद्रनाथ टैगोर का एक पोर्ट्रेट लगाया गया। सादगी में विश्वास करने वाली मुख्यमंत्री के कमरे में काठ की 10 कुर्सियां रखी गई हैं। पुराने प्लाईवुड के कैबिनेट हटा दिए गए और प्रकाश व्यवस्था बेहतर कर दी गई। मुख्यमंत्री अपने कमरे के धीमे प्रकाश से संतुष्ट नहीं थीं।
13.1.12
कोई सुन ना ले
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