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20.1.12

लहर लहर फहराए (माता को समर्पित गीत )

( माता की वंदना )
प्रेम ,शांति के गीत मनोरम
मुक्तकंठ हो गाये ;
तेरा भगवा भूमंडल में
लहर -लहर फहराए ।

अलग -अलग पंथों में बँटकर
ले हथियार तने हैं ;
तेरी मिट्टी के ये पुतले
सब तेरे अपने हैं ।
सुलहे कुल का और अमन का
इनको पाठ पढाये ।
तेरा ............................................................. ॥

प्रेम संदेशा है भगवा में
रवि-सा तेज अनल है ;
सदा सत्य को विजय दिलानेवाला
तेरा बल है ।
दर्प-दीप्त ज्वाला प्रचंड यह
अम्बर को हर्षाये ।
तेरा ................................................................ ॥

प्रेम, दया, वीरता और सम्मान
तुम्हारी जय हो ;
और सनातन धर्म राष्ट्र अभिमान
तुम्हारी जय हो ।
अपनी अरुणिम आभा से यह
नभ का भाल सजाये ।
तेरा ....................................................................... ॥

माँ तुमको अर्पित तन-मन-धन -जीवन , जनम-जनम हो ।
तेरा ही जयघोष सुनाता साँसों का सरगम हो ।
माते , तेरे पद पंकज में चित्त - भ्रमर रम जाए ।
तेरा भगवा भूमंडल पर लहर -लहर फहराए ॥

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