ये हवा चौपट हमारे देश में क्यों बह रही ?
रस मलाई है जो , अपने को जिलेबी कह रही ॥
हुस्न परदे से झलकता काबिले तारीफ़ है ,
किस लिए वह ज़माने की बेहयाई सह रही ॥
इल्म हासिल कर ,वफ़ा की राह पर चलते रहो ,
बुजुर्गों ने जो बनायी थी ईमारत ढह रही ॥
ये हवा चौपट ............................ ॥
29.1.12
ये हवा चौपट
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1 comment:
अच्छे शेर है
और
कटाक्ष भी खूब है.
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