फिर.......जाने
कैसे हमें चाहतों का नजराना
मिल
गया.............................................................!!
वो मेरे
पास आये तो धड़कने बढीं, बढ़ी
धडकनों का इशारा सा हो गया !
न मै कुछ
समझा न वो कुछ समझ पाई, जाने
कैसा हमें चाहतो का नजराना
मिल गया!!
हमारा
प्यार में डूबने को आगे बढ़ना,
तभी उसके
रेशमी जुल्फों का हवाओं में
लहराना!
जाने क्या
कह गई उसकी काली-हसीं
जल्फें,
शायद कुछ
खास था हमारे प्यार के इशारों
में नजरों का मिलाना!!
वो शरारत-वो
इश्क की इबादत, फिर
वो शरमाई-वो मुस्काई!
फिर चेहरे
से नजरों को हटाते हुए वो मेरी
बाहों में सिमट आई!!
हमारे
प्यार की लड़ाई में हम प्यार
के झोकों से हिल गए!
वो शर्माते
हुए मुझमे समांकर मेरे सीने
से लिपट आई!!
उनका सीने
से लिपटना, उनकी
जुल्फों के जादू का चलना!
उसका मुझमें
समांकर खुद अपने से दूर जाना,
जाने कैसा एहसास दे
गई!!
No comments:
Post a Comment