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1.7.08

करुणाकर के लिए

एक होनहार नवयुवक बीमारी की चपेट में हो और इसका पता भड़ासियों को लग जाए और वह हाथ-पर- हाथ धरे बैठे रहें ऐसा हो ही नहीं सकता। भाई यशवंत और डॉ.रूपेश श्रीवास्तव ने इस संदर्भ में मदद करने के लिए जो बीड़ा उठाया है,वह प्रशंसनीय है। हमें इसमें अपनी मनुष्यता का परिचय देना ही चाहिए। मेरा एक विनम्र सुझाव है कि उत्तर प्रदेश की मुख्य मंत्री और केद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की ईमेल आई.डी भड़ास पर यदि दे दी जाए और हर भड़ासी करुणाकर की मदद के लिए मुख्य मंत्री और केद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से गुहार करे तो सरकारी खर्चे पर न केवल इनका इलाज हो सकेगा बल्कि कुछ आर्थिक अनुदान भी मिल जाएगा क्योंकि मुख्य मंत्री के पास एक विवेकाधीन कोटा होता है और इस प्रकार के प्रकरण में मदद करने का प्रावधान भी है। और जब तक यह व्यवस्था नहीं होती है,व्यक्तिगत स्तर पर हमें अपने प्रयास जारी रखने चाहिए।
पं. सुरेश नीरव

1 comment:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

पंडित जी,मंत्रियों का विवेक पर आधारित कोटा उनके चमचों के लिये और महिला मित्रों के घर वालों के लिये होता है,मैं इन सब उठापटक को खूब कर चुका हूं,हम सब ही जो करें सो करें। मुझे मनीषा दीदी और मुनव्वर आपा ने हाथ में एक एक हजार रुपए लाकर दे दिये हैं।