ओलम्पिक का सफरनामा-4 आपके लिए लाया है ओलम्पिक की यादें. हाँ यदि इन यादों, जानकारियों का पता हमारे सम्मानित भडासी भाइयों को हो तो हमें उनका बहुमूल्य समय नष्ट करने के लिए क्षमा करियेगा.
24.7.08
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
ओलम्पिक का सफरनामा-4 आपके लिए लाया है ओलम्पिक की यादें. हाँ यदि इन यादों, जानकारियों का पता हमारे सम्मानित भडासी भाइयों को हो तो हमें उनका बहुमूल्य समय नष्ट करने के लिए क्षमा करियेगा.
Posted by राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
Labels: ओलम्पिक यात्रा
1 comment:
भाई,देश की संसद में जो ओलम्पिक हुआ वह कितना आनंददायक रहा.... भड़ासियों के गले में बहुत कुछ अटका है वो खेलकूद जरा कम ही निगल पाते हैं अगर आप चाहते हैं तो डंडा डाल कर ठेलना होगा.....
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