आज-कल देश में सबसे बड़ा मुद्दा है परमाणु करार का .हमारे देश के लीडर्स को न बढती महंगाई की चिंता है और न ही दिनों-दिन बढ़ रहे आतंकवाद और नक्सलवाद की .उन्हें चिंता है तो सिर्फ़ इस बात की कि कैसे वो अपनी सरकार बचाए ताकी बाकि बचे समय में भी वो सता का मजा लूट सके और अपनी जेबे भर सके।
आज सरकार परमाणु करार के बारे में जनता से सहायता मांग रही है और ये ही वो सरकार ह जिसने परमाणु करार का मसोदा संसद में रखने से इन्क्कर कर दिया था कि यह गोपनीय है .आख़िर वो चेअसे गोपनीय कसे हो सकती है जिसे अमेरिकन कांग्रेश में पेश किया जा चुक्का हो और यह्हा तक कि उसका आदे से ज्यादा मैटर अमेरिकन वेबसाइट्स पर भी आ चुका हो .क्या यह जनता के साथ साफ-साफ धोखा नही है?
आज सरकार कह रही है कि परमाणु करार होगा तो बिजली मिलेगी और तरक्की होगी लेकिन क्या सरकार ने
ये भी हिसाब लगाया है कि पनबिजली और हवा से बिजली बनाना काफी सस्ता परेगा बजाये कि परमाणु बिजली खरीदने के।
सरकार कह रही है कि अगेर परमाणु करार हो जाता है तो इंडिया में बिजली कि कमी नही रहेगी ,महंगाइ कम हो जायेगी लकिन मै जानना चाहुगा कि क्या सरकार के पास इतने परमाणु रेअक्टेर है जिनसे पुरे देश को बिजली मिल सके?
जवाब है नही।
तो फ़िर आख़िर क्या फायदा है इश परमाणु करार का?
क्यों इस मुदे पर बाकि सभी जरुरी मुददों को दबाया जा रह है?
क्या जनता इतनी बेवकूफ है जो अपने से जुड़े मुददों को छोड़ केर परमाणु करार पर वोट देगी?
इन सवालो का जवाब ढूँढना वास्तव में आज कि जरूरत है.
14.7.08
क्या परमाणु करार देशहित में है?
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