प्रेम करो सबसे, नफरत न करो किसी से. अगर कुछ करना चाहते हो तो भूखे पेट को रोटी दो, नंगे शरीर को कपड़े दो, जिनके सर पर छत नहीं है उन्हें रहने को घर दो. ऐसा करोगे तो तुम्हारा खुदा, तुम्हारा भगवान तुम्हें प्यार देगा.
बहुत बदिया भाई, सच कहें तो ये है हमारे देश कि तस्वीर, सब कुछ को धत्ता बता कर देश कि सभ्यता ओए संस्कृति कि बात करने वाले कुंठित आतंकी, भड़ास और भडासी इस कि नींदा करें या ना करें मैं तो करता हूँ और जब तब दो चार गालियों का भी भड़ास निकाल लेता हूँ. जय जय भड़ास
परहित सरिस धर्म नहीं भाई परपीड़ा सम नही अधमाई तुलसीदास जी की इन पंक्तियों में धर्म का सार छिपा हुआ है। आखिर यह हमारी समझ में क्यों नहीं आता है। डॉ. भानु प्रताप सिंह, आगरा
6 comments:
प्रेम करो सबसे, नफरत न करो किसी से. अगर कुछ करना चाहते हो तो भूखे पेट को रोटी दो, नंगे शरीर को कपड़े दो, जिनके सर पर छत नहीं है उन्हें रहने को घर दो. ऐसा करोगे तो तुम्हारा खुदा, तुम्हारा भगवान तुम्हें प्यार देगा.
बहुत बदिया भाई,
सच कहें तो ये है हमारे देश कि तस्वीर, सब कुछ को धत्ता बता कर देश कि सभ्यता ओए संस्कृति कि बात करने वाले कुंठित आतंकी,
भड़ास और भडासी इस कि नींदा करें या ना करें मैं तो करता हूँ और जब तब दो चार गालियों का भी भड़ास निकाल लेता हूँ.
जय जय भड़ास
धर्म के संबंध में बस इतना ही कि भूखे का धर्म भोजन और भरे पेट का धर्म ये सब नाटक जिसकी आड़ में राजनीति के पराठे सेंके जाते हैं...
परहित सरिस धर्म नहीं भाई
परपीड़ा सम नही अधमाई
तुलसीदास जी की इन पंक्तियों में धर्म का सार छिपा हुआ है। आखिर यह हमारी समझ में क्यों नहीं आता है।
डॉ. भानु प्रताप सिंह, आगरा
bahut zabardast..... aapne 3 minute mein jo baat kah di hai, woh shayad 3 ghante ki film bhi nahi kah paati.
aakhir ham kab tak dharm ke naam par ladhte rahenge.....?
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