कहते हैं इस दौर में लड़कियाँ
बहुत आगे हैं बढ़ रही
कोई छू रही आसमान
तो कोई धरती की गहराई है नाप रही
कोई जीवन दान दे रही
तो कोई दूसरे का आशियाँ है बना रही
कोई दूसरो के हक़ के लिए लड़ रही
तो कोई दहेज़ है एक अभिशाप
का पाठ सबको पढ़ा रही
कोई अपना रही बेसहाराओ को
और पराये का भेद मिटा रही ,
तो कोई आज देश की प्रधानमंत्री , रास्ट्रपति बन
बागडोर संभाल रही ,
पर कौन जाने क्या हो सच
उन पर भी तो हो सकती है कोई मुशीबत
क्या गारंटी है की जो छू रही आसमान
उसे किसीने धरती पर न पटका हो
और जो गहराई है नाप रही
उसे कोई जख्म न गहरे दे जाता हो
जो जीवन दान दे रही ,घाव भर रही
कौन जाने उसे ही जीने के लाले हों ,
और शरीर पर जाने कितने ही निशान
घाव के गहरे हों ,
जो बना रही दूसरो का आशियाँ
हो सकता है वो ख़ुद ही
सर छुपाने की जगह हो ढूंड रही ,
लड़ रही है जो दूसरो के हक़ की लड़ाई
कौन जाने उससे ही सब लड़ते हों
हक़ की लड़ाई ,
दहेज है एक अभिशाप
पाठ जो सबको पढा रही
हो सकता है उसके ही ब्याह मे
हो दहेज़ की भारी मांग हो रही ,
जो अपना रही बेसहाराओ को
क्या गारंटी है की उसका भी कोई सहारा हो
या हो सकता है की सबने उसको ही
पराया कर डाला हो ,
जो कल थी देश की प्रधानमंत्री ,
आज है रास्ट्रपति ,
क्या हो नहीं सकता की
उसकी दुनियाँ भी हो विरान सी
दुखती हो उनकी भी आँखे
पर दिखा नहीं वो पाती हों
क्युकी आज हैं वो देश के
सर्वश्रेष्ठ पद पर ।
29.7.08
अस्तित्व ----------
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5 comments:
ashtitva kavita kafi marmik hai.
thanks
birendra yadav patna
ashtitva kavita kafi marmik hai.
thanks
birendra yadav patna
कमला बहन,अतिसुंदर...
कमला जी,
पता नहीं आप कहाँ गम हो गयीं थी, वैसे चलिए आयी तो वापस अपने वही तेवर के साथ, अच्छी रचना है.
rajnishji gum nahi hui thi bas kuch dino ke liye dusre kaamo me fas gai thi.hum wo hai jo ek baar rista bana le to marte dam tak nivaayenge.
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