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16.7.08

हद कर दी भैया इन फिल्म बनाने और दिखाने वाले ने

मोहनदास फिल्म के प्रदर्शन में उदय प्रकाष को न्यौता न देकर हद कर इन फिल्मी बाबूओं ने। ऐसे बाबूओं को केवल राखी सावंत याद रहती है। जो भी हो मोहनदास उदय प्रकाष की लिखी पुस्तक पर आधारित है और इन्हें ही नहीं बुलाया गया.........................

1 comment:

Anonymous said...

आपकी साइट पर अपनी बात कहने का कोई तत्‍काल साधन मेरी समझ में नहीं आया तो इस कमेण्‍ट के माध्‍यम से अपनी बात कह रहा हूं -

पत्रकारों का शोषण कर रहा है कानपुर प्रेस क्‍लब

यूं तो प्रेस क्‍लब का काम पत्रकारों का साथ देना उनकी समस्‍याओं के समाधान हेतु संघर्ष करना होता है । पर कानपुर प्रेस क्‍लब का काम केवल पत्रकारों का शोषण करना ही रह गया है। कानपुर के नवीन मार्केट इलाके में प्राइम लोकेशन पर स्थित ये क्‍लब अब लूटखसोट का केन्‍द्र बन गया है। पिछले 6 सालों से यहां चुनाव नहीं हुये हैं जबकि हर साल चुनाव कराने का प्रावधान है। यहां के स्‍वयंभू अध्‍यक्ष अनूप बाजपेई और महामंत्री के0के0त्रिपाठी उर्फ कुमार हैं, जिनका काम केवल नये और छोटे समाचार पत्रों के पत्रकारों का शोषण करना है। यहां प्रेस वार्ता करने का शुल्‍क 351 रुपये है पर लोगों से 1000 से 2000 रूपये वसूले जाते हैं जिसका कोई हिसाब नहीं रखा जाता। और तो और प्रेस वार्ता में केवल अध्‍यक्ष व मंत्री जी के चमचे ही शामिल हो सकते हैं अन्‍य कोई नहीं । यहां केवल दैनिक समाचार पत्रों के पत्रकार ही घुस सकते हैं , यदि कोई साप्‍ताहिक/पाक्षिक समाचार पत्र/पत्रिका का नुमाइन्‍दा यहां भूले से भी आ जाये तो उसको धक्‍के मार कर बाहर कर दिया जाता है। ये कौन सी पत्रकारिता है मेरी तो समझ से बाहर है। जो इन‍के पैर छुये वो तो पत्रकार है जो न छुये उसे फर्जी पत्रकार बना दिया जाता है। इतने पर ही बस नहीं है इनके चमचे इनके संरक्षण में और भी हर तरह का धन्‍धा करते है जैसे मकान खाली कराना, जमीन पर कब्‍जा कराना, व्‍यापारियों को धमका कर विज्ञापन के नाम पर वसूली करना आदि। इनके संरक्षण में कानपुर में गुण्‍डा छाप पत्रकारों की पूरी फौज तैयार हो रही है जिसका काम केवल वसूली करना है। किसी को कलम की नोक पर और किसी को कैमरे की नोक पर रख कर धमकाया और वसूली चालू।

अभी हाल ही में कानपुर में कई केस ऐसे हुये जिनमें फर्जी पत्रकार चोरी और चेन स्‍नैचिंग में पकडे गये, इसके बाद पुलिस ने एक अभियान चलाने की घोषणा की जिसमें पत्रकारों का परिचय पत्र चेक किया जाना था उसमें भी ये लोग घुस गये कि हमें साथ ले कर चेकिंग करो । पता नहीं पुलिस इनसे इतना दबती क्‍यों है। एसपी ने बयान दिया कि प्रेस क्‍लब के वरिष्‍ठ पदाधिकारियों के साथ चेकिंग होगी कि कौन असली पत्रकार है और कौन नकली। इससे इन गुण्‍डा पत्रकारों की बन आयी जो अपना चमचा वो असली जिसने पैर नहीं छुये वो नकली। इसके चलते कई साप्‍ताहिक अखबारों के पत्रकार पुलिस द्वारा बेइज्‍जत हुये। अब मुझे कोई बताये कि क्‍या प्रेस क्‍लब की सदस्‍यता लेना सभी पत्रकारों के लिये अनिवार्य है। जबकि ये साप्‍ताहिक पत्रों के पत्रकारों को प्रेस क्‍लब में घुसने भी नहीं देते हैं सदस्‍यता देना तो दूर की बात है। इसके पीछे कारण ये है कि सदस्‍यता दी तो नये सदस्‍य कहीं चुनाव न कराने को कहने लगें यदि ऐसा हुआ तो सारी कमाई बन्‍द हो जायेगी।

आप सभी भडासी भाइयों से अनुरोध है कि इस मामले पर अपने विचार बतायें ताकि इन माफिया पत्रकारों का कुछ किया जा सके। यदि किसी को कोई विधिक प्रक्रिया पता हो बताये । प्‍लीज भइयों इस समस्‍या का हल बताओ।


रमेश प्रधान
ग्राम सचेण्‍डी कानपुर नगर
email:- indianvip101@yahoo.com