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8.2.09

एक बड़ी समस्या

आज भी जातीवाद जाने का नाम नही ले रहा है कहने को तो हम modern हो गए हैं लेकिन कहीं न कहीं मन में पुरानी सोच और तानाशाही है। लोग खासकर बड़े अपने अपने विचार और शर्ते छोटो पर थोपने की कोशिश करते हैं और वो कामयाब भी हो जाते है।

आज भी बहुत जगह देखा गया है की छोटी जाती के व्यक्ति के आने पर उसे अलग बिठाया जाता है और अलग खिलाया जाता है। ये गावं नही मैं की भी बात कर रहा हूँ। शायद आपने भी ये महसूस किया होगा।

अगर हम शादी जैसे बड़े matter की बात करे तो लोग अभी भी अपनी जाति में शादी करना पसंद करते हैं। चलो ठीक है कोई बात नही, लेकिन problem तब आती है जब बच्चे किसी अन्य जाति के व्यक्ति को पसंद करते हैं औएर शादी करना चाहते हैं लेकिन घर वाले राजी नही होते हैं। और वहीँ से परिवार, मन और इन्सान टूटने लगता है।

आज हमें लोगो से जुड़ कर चलना चाहिए और नए रिश्तें जोड़ने चाहिए। लेकिन लोगो की न दिखने वाली इज्जत और सोच के कारण एक दिखने वाली जिंदगी बर्बाद होती है। और लोगो पर इसका 1% भी असर नही पड़ता। वो शायद अपने "अपने" खोकर और इज्जत बचाकर खुश रहते हैं।

ये 20% नही तो 80% लोगो की समस्या है। और भगवन जाने अपना देश इस कलंक और घटिया सोच से कब आजाद होगा।
मेरा मकसद किसी भावनाओ को क्षति पहुचने का नही है फिर भी किसी को मेरे लेख से problem होती है तो उसके लिए मैं माफ़ी मांगता हूँ।

deep madhav
deep_sa15@yahoo.co.in
www.hamarasamaaj.blogspot.com

2 comments:

पंकज व्यास, रतलाम said...

issame maphi ki kya bat hai janab, aap sahi kahaten hai, dua karo vo din jald ayen, jab jat-pat ke bandhan ke bina shadi ki ja saken.

मेरी आवाज सुनो said...

Deepji,jaane kyun main apne aapko aapse sahmat hota nahin dekh paa raha hoon.Yeh jaroor ho sakta hai ki main galat soch raha hoon par jaativaad shahron mein na ke barabarhi nazar aata hai.