ये दूर जाने वाले कभी तो पलट के देखा होता,
एक साथी जो तेरा था वो राह में छूट गया!
प्यारे से बंधन को जो हम निभा रहे थे,
न जाने किसकी गलती से वो टूट गया!
अब तो तन्हाईया और गम ही संग हैं,
और साथ देने को आँखों से आँसू भी छूट गया!
न जाने कितने रंग दिखायेगी ये जिंदगी,
जब जिंदगी का सितारा ही टूट गया!
जिंदगी में प्यार का जो अनमोल खजाना था,
वो न जाने कौन अनजाना लूट गया!
दो पल की ये जिंदगी अब नजर आती है,
नजरो का सपना जब से टूट गया!
न हो तुम पर तुम्हारी यादे ही सही,
इन यादो का दामन तो न छूट गया!
प्यार बहुत किया था मैंने तुम्हे पागल,
पर एक मोड़ पे हाथो से हाथ छूट गया!
deep madhav
deep_sa15@yahoo.co.in
www.sapnemere.blogspot.com
21.2.09
हाथो से हाथ छूट गया
Labels: मेरा दर्द
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