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22.2.09

शर्मनाक यानि अविनाश

बड़े दिनों की शांति के बाद फिर बौधिक जुगाली करनेवाले चिपचिपे और पिलपिले किस्म के लोग इनदिनों व्यस्त हैं इस मुहीम में की ब्लॉग की दुनिया का जानवर ( माफ़ करें इससे बेहतर शब्द मैं इस्तेमाल नहीं कर सकता ) यानि बहुतों का भाई सखा और अन्नदाता अविनाश घटिया है या नहीं, अभी बहुत वक़्त नहीं हुआ जब मुझे , यशवंत जी और दूसरे ब्लाग्गरों को बाकायदा इस '' जानवर'' से मोर्चा लेना पड़ा था, कहानी बड़ी है वक़्त कम है,
इस बार भी ये जानवर चर्चा में हैं हमेशा की तरह अपनी हरकतों की वजह से, हरकतें जिनसे न पत्रकारिता का भला होना है न पत्रकारिता बिरादरी का, हाँ पूरी पत्रकारिता बिरादरी का भरोसा जरुर दांव पर है, कैसे... माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय के पत्रकारिता के छात्रों की एक साथी और शायद कल की होनहार पत्रकार को पत्रकारिता के बेहतरीन सबक देने के बजाय अपनी बाजारू कारीगरी से न सिर्फ वरिष्ठ पत्रकारों के प्रति इन नौनिहालों के मन में ढेर
सारी आशंकाएं भर दी हैं बल्कि अपनी ''जिस किस्म की भी हरकत हो'' उससे जिस बिरादरी का झंडाबरदार होने की कोशिश ये जानवर करता रहा है उसे न सिर्फ इस बार फिर शर्मिंदा किया है बल्कि पत्रकारों के पतन की एक और कहानी जो अक्सर दब जाया करती हैं जाहिर किया है, और जाहिर होने के बाद कईयों के निशाने पर भी है,
व्यक्तिगत रूप से कुछ ईमेल और मेल के आदान प्रदान के बाद इस '' जानवर'' को मैंने बहुत पहले ही खारिज कर दिया था, कईयों ने किया, इसकी नीचता का गवाह भी मैं हूँ की किस तरह हमको अपने ब्लॉग के जरिये ये धमकी देता रहा की आप मुझसे माफ़ी मांगे वरना साइबर क्राइम का मुकदमा आपके खिलाफ कर दूंगा, जब मैं अपने रिपोर्टर मित्रों के जरिये बाकायदा साइबर क्राइम सेल में पड़ताल कराई तो पता चला की ऐसी कोई रिपोर्ट तो दूर कोई शिकायत तक हमारे पास दर्ज नहीं है कहना था साइबर क्राइम सेल प्रभारी का, किसी को मापने के हजार पैमाने नहीं होते, इसकी कमीनगी मेरे सामने थी, खैर ....इस बार पत्रकारिता की एक छात्र ने छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करायी है इस जानवर के खिलाफ, इस मौके पर कई बरसाती मेढक किस्म के लोग जिन्हेंअविनाश के पिछले रिकॉर्ड को लेकर पूरा भरोसा है की सेटिंग और चालबाजी में माहिर ये जानवर फिर कहीं न कहीं अपनी गोटी फिट कर लेगा और जल्द किसी संस्थान के मलाईदार पद पर बैठा होगा वो इस मौके पर इसके साथ खड़े होकर सहानुभूति दर्ज कराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे, आखिर अविनाश के बुरे वक़्त में वो खड़े होंगे तोः उनके बुरे वक़्त में भी अविनाश खडा होगा ही, डीबी स्टार में भी अपने कई चप्पुओँ को इसने फिट ही किया है खैर......
लिजलिजे वामपंथियों का बैठकों में चाय और दारु गटकते हुए क्रांति करने और पैसेवाले घरों के लड़के और लड़कियों को विचारों की चासनी चटाकर उनका और उनके धन और शरीर और संसाधनों का शोषण करना जेएनयू में हजारों बार देखा है, अविनाश भी कुछ नया नहीं कर रहा इधर से उधर से किसी भी मुद्दे पर विचारों का मुलम्मा चढाकर नए लौंडोंको बरगलाता और हाशिये पर पड़े गुमनाम से चरित्रों को कृतार्थ करने का काम करता रहा है, अफ़सोस हर बार अविनाश का नाम चर्चा में आता है लेकिन किसी न किसी बुरे कर्म के चलते, शायद इस जैसों को पीट-पीटकर बचपन में सिखाया गया हो की की बेटा नाम '' बदनाम'' होकर भी होता है, प्रभात खबर में हरिवंश ने इसे बहार का रास्ता दिखाया, '' हरिवंश'' गलत थे, एनडीटीवी प्रबंधन गलत था अभी भास्कर प्रबंधन भी गलत है वजह की ब्लॉग में चौधराहट दिखानेवाले चौधरी अविनाश को इन सबने बाहर का रास्ता जो दिखाया,
शर्मनाक सिर्फ इतना है की अपनी-अपनी वजहों से अपने अपने हितों को सुरक्षित रखने की गरज से कुछ वामपंथी निठल्ले ओर अविनाश जैसी सोच रखनेवाले उसको सिर्फ इसलिए पाक-साफ़ घोषित करने में जुटे हैं क्यूंकि अगर एक छात्र के साथ छेड़छाड़ करनेवाले अविनाश की ये हरकत भी अगर दबा दी जाती है उनके लिए अच्छी खबर होगी जो इस जैसी हरकतों को अंजाम देने के सपने संजोये बैठे हैं, दो पत्रकारिता संस्थानों में पढाने के साथ साथ पिछले ६ साल से टीवी, रेडियो ,प्रिंट में घूमने के बाद भी इस किस्म के एक भी आरोप न लगने को अपनी उपलब्धियों में ही शुमार करना चाहूँगा, लेकिन इधर जिस तरह से एक विवादित चरित्र के जानवर( दूसरो के मामले में आदमी समझें) को कुछ बेशर्म बचाने में लगे हैं उसपर वाकई शर्म के सिवाय क्या भेजूं इनको, साहित्य में एक परंपरा सी हो गयी है की बिना दारूबाजी व एक आधे स्कैंडल के कोई साहित्यकार नहीं माना जाता या यूँ कहें की साहित्यकार बनाने या वामपंथी विचारक होने के लिए इस किस्म की वीभत्स हरकतें को अंजाम देना एक अनिवार्यता सी बनती जा रही है उससे भी शर्मनाक ये की ऐसी हरकतों को अंजाम देनेवालों को बेहद निरीह व कुचक्रों का शिकार बेचारा घोषित करवा दिया जाता है ताकि कुछ साझा हित साधकर बड़े सलीके ओर करीने से ऐसी शर्मनाक हरकतों के आगे किये जाने का रास्ता खुला रह सके, शायद तभी पत्रकारिता में कई कमीनगी को अंजाम देने के बाद ये घटिया जानवर बेहद मासूमियत से अपने किये पर पर्दा कुछ यूँ डालता है'' मेरी सहानुभूति उस लड़की व मेरे आलोचकों के साथ है''
प्राकृतिक न्याय में भरोसा रखने के कारण उम्मीद करता हूँ की अविनाश नामके जानवर को प्रकृति अपने तरीके से दंड देगी व इसे फिर से खुद को बेगुनाह साबित करने ओर शब्दों के साथ हेरफेर करके खुद को बचने का मौका नहीं मिलेगा, आमीन
( माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के वे छात्र जिनका हौसला डिगा है, उनसे अनुरोध की अपनी शानदार-जुझारू परंपरा को जारी रखें )....शुभकामनाएं.....

4 comments:

Anonymous said...

sochiye ki aise logo ke sannidhya se nikle ladke agar patrakarita ke bajae chatukarita, dalali aur baki dusare asamajik karyo ko anjam dete hai to usme un nausikhuo ka kitna dos hai.ummid to yahi thi ki aese logo ko patrakarita sanstha me ghusne nahi diya jaayega lekin afsos ki yaha jugaad se sab kuch ho sakta hai.abtak aese kitne logo ka vinash kar chuke darinde aise hi naye nawele logo ko phasate hai. hum daad dete hai us ladki ka jisne is avinash ka vinashi chehra saamne laaya hai.

Anonymous said...

अविनाश पर कथित आरोप के बाद काफी लोग तो कुछ सुनने कहने आ ही नही रहे क्योंकि उन्हें यह व्यर्थ की झाय झाय से ज़्यादा कुछ नही लगता। वे भी बुद्धिमान हैं,तटस्थ रहने वाले। लेकिन जो लोग सामने आ रहे हैं उनमें से भी अधिकांश मोहल्ला की कमेंट मॉडरेशन के बाद केवल अविनाश के हक मे बोलने आ रहे हैं। (और न भूले की अविनाश जी कभी इस बात पर दम्भ करते थे की मोहल्ला पर कमेंट मॉडरेशन नही लगाया जाता चाहे किसी अनीषा,नलिनी किसी के भी लिए भद्दी बातें कमेंट मे लिखीं जाएँ उन्हें मोहल्ला पर पड़े रहने से अविनाश को कोई फर्क नही पड़ता) आज से पहले अविनाश ने हमेशा गालियों का फेवर ही किया है,और यह दम्भ भी भरा कि देखो हम तो गाली खाते भी है और देते भी हैं यह तो आम आदमी की भाषा का स्वाभाविक हिस्सा है तो अपनी खोखली सफाई वाली पोस्ट पर अब गालियों का खयाल करके मोडरेशन क्यों लगा दिया गया? अब जो कमेंट्स वहाँ आ रहे हैं - ज़रा ऐसे कमेंट्स के स्वरूप पर विचार किया जाए तो साफ दिखाई दे रहा है कि इन समर्थक पुरुषों के लिए औरत मात्र की कोई इज़्ज़त नही है। इन कमेंट्कारों से क्या यह जवाब मिलेगा कि पैसे और पॉवर के लिए उनकी बहने बेटियाँ भी इतनी आसानी से किसी मैनेजमेंट का मोहरा बनने को तैयार हो जाएंगी ? यदि हाँ तो मान लेना चाहिए कि हमेशा लड़की ऐसे केसों मे चरित्रहीन ही होती है ,पुरुष साफ होता है,चाहे वह इस केस की पीड़िता हो या किसी की भी बेटी, बहन, पत्नी या माँ !
अविनाश के पास तो फिर भी एक बड़ा मंच है, यह बड़ा सा ब्लॉग संसार है , आप जैसे छिछोरे टिप्पणीकार हैं .....फिर भी वह अपनी बात न कह पाने की असमर्थता दिखा रहा है......किसी ने उसे अपनी सफाई देने से नही रोका......तब भी आप सब उस “लड़की”, जो आप सब के हिसाब से पहले से ही बदचलन मान ली गयी है,उसके पास कोई ब्लॉग नही है ,न ही अविनाश की तरह की लॉबियिन्ग ही है। दर असल लड़की के पास न पैसा है , न कॉंटेक्ट्स हैं , न लॉबियिंग है , न शोहरत है , न ही वह भविष्य मे आपके किसी काम आ सकती है, न ही एजुकेशन ही पूरी है।
अपने विद्यार्थी जीवन मे ही वह लड़की अविनाशों को फँसाने लग गयी है,यह बात ऐसे आराम से कह दी जा रही है जैसे आप सभी को उसने फँसाया हो और आप उसकी हरकतों से वाकिफ हों।अभी उस लड़की के आप खिलाफ हैं और अविनाश के साथ हैं क्योंकि अविनाश आपका दोस्त है और लड़की कुछ नही। लेकिन अपनी बहन-बेटी-पत्नी की बात आएगी तो एक आदमी अपने करीबी से करीबी दोस्त क्या भाई पर भी विश्वास नही करेगा ।
.सहानुभूति जताना अलग बात है और किसी लड़की के चरित्र पर उंगली उठाना अलग बात...जब अविनाश कह रहे हैं कि वे उसे घर तक छोड़ने गए थे...और आप बता रहे हैं कि ...इस तरह की ...लड़कियां ऐसा करती हैं। भोपाल में रहते हुए अविनाश उसे जानते थे और घर छोड़ने लायक समझते थे, इसीलिए घर तक गए। मगर आप उसे चरित्रहीन बता रहे हैं....आपको कैसे पता ? यानी गड़बड़ है...कहीं पर..
एक कमेंट कहता है कि - जिन लोगों के खिलाफ अविनाश काम कर रहे थे और जिनकी आंखों में चुभ रहे थे उनके पास और हथकंडे भी कहां थे, पार पाने के लिए .................
.हमें बताया जाए कि वे ऐसा कौन सा काम कर रहे थे कि हिन्दी पत्रकारिता के मसीहा मान लिए गए हैं , या मसीहा बनने का रास्ता भी शायद यहीं से होकर गुज़रता है।
जिस देश मे हमेशा से यौन उत्पीड़न के मामलों को दबाया जाता हो ,जहाँ नॉयडा गैंग रेप पुलिस क्या देश भर मे खबर बन जाने के बाद भी ठप्प पड़ा हो ,जहाँ एक महिला पुलिस अधिकारी (के पी एस गिल केस) को इंसाफ पाने मे 18 वर्ष का समय लग गया हो वहाँ एक छात्रा के झूठे इल्ज़ाम मात्र से, जाँच समिति की रिपोर्ट से पहले ही अविनाश जी सम्पादकत्व गँवा बैठे हैं यह हमारे लिए वाकई हैरानी की बात है और इसे पचाना मुश्किल है। भास्कर समूह अपनी इज़्ज़त के डर से सच बयान नही करेगा , लड़की अपनी इज़्ज़त के डर से बाहर नही बोलेगी, विश्वविद्यालय अपनी इज़्ज़त के डर से भेद नही खोलना चाहेगा..........अविनाश किसके डर से चुप हैं ?अपने अन्दर का भय तो नही ? कंही तो कुछ गडबड है।
इसका क्या सबूत है कि अविनाश को बात कहने का मौका नही दिया गया और प्रबन्धन ने उन्हें यूँ ही चलता कर दिया? हमे नही लगता की अविनाश को हटाने के लिए किसी प्रबन्धन को उनके खिलाफ षडयंत्र करना पड़े और वह भी किसी लड़की को मोहरा बनाकर। यह एक निजी कम्पनी है , जब चाहेंगे हटा देंगे , इम्प्लॉयी को हटाने के लिए प्रबन्धन को वजहों की कमी नही होती ! इसके लिए इतनी बड़ी प्लानिंग की कतई ज़रूरत नही थी वो भी एक लड़की को खाम्खाह बदनाम करना पडे | यूँ भी प्रबन्धन पर आप मुकदमा कर ही सकते हैं । दीन-हीन बनने की बजाए अब भी चेत जाना ज़रूरी है।
इनके समर्थन मे पूरी विश्वास के साथ खड़े 70 लोग भूल रहे हैं कि अपना मतलब साधने के लिए इन्होंने प्राईवेट चेटों को खुब पब्लिक किया और कई बार उस व्यक्ती (इनमे कई महिलाएँ भी है) के आग्रह करने पर भी उसे नही हटाया।

Anonymous said...

अविनाश ने जो किया उसे किसी वाद से ना जोडें तो बेहतर है. वामपंथ या किसी भी विचारधारा को कुछ लोगों के दुष्कृत्यों के कारण गलियाना भी कोई अच्छी बात नही. क्या दक्षिणपंथ में दुष्कर्म करने वालों की ख़बर नही है आपको?

satish aliya said...

asl dikkat ek jgh se nikale gye longon ko bina padtal kiye dusri jgh behtr post aur pesa dedene se peda hoti hai. khaskar nye ahwaron me. ghar ka jogi jogda aan gaon ka sidhdh manliya jata hai. badnami ke bad ya nalayki sabit hone pe nikal dete hain.ye log nya murga fans lete hain.ya chark chlta rhta hai.theek log kam paise lein bina promotion ke kam krne pe mjboor hain. asl mein dia tle andhera ha wo bhi ghna. need to do dome thing 4 exposing nalayk and layk also.