आज मैंने एक रिक्शेवाले को देखा ....मेरा मन दहल गया । उसका एक हाथ कटा हुआ था । एक ही हाथ से रिक्शा चला रहा था । उसके हिम्मत को देखकर मै चकीत रह गया .....सोच रहा हूँ एक हाथ से रिक्शा चलाना कितना मुश्किल होगा । उसने बताया की शुरू में तो यह संभल ही नही रहा था लेकिन धीरे धीरे आदत हो गई और अब चला लेता हूँ ।
सोचता हूँ उसने बहुत हिम्मत का परीचय देते हुए यह रास्ता चुना है ...... वह चाहता तो भिखमंगों की कतार में शामिल हो सकता था लेकिन उसने ऐसा नही किया । मैंने कुछ अधिक पैसे देने की कोशिश की पर असफल रहा ।
इस घटना ने मुझे झकझोर कर रख दिया है ...... शायद भविष्य में कभी निराश हो जाऊं तो उसका चेहरा जरुर याद करूँगा । उसके हिम्मत और खुद्दारी को सलाम करता हूँ ।
21.2.09
उसके हिम्मत और खुद्दारी को सलाम करता हूँ...
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5 comments:
इसी को कहते हैं जज्बा। इस जज्बे को वाकई सलाम कहते हैं हम।
yaswant jee salaam ke liye aapko bhi salaam...
shaabash housla,shaabash jindgi.Markandey ji ab jab bhi aapki nazar us bahadur par pade,ek salaam mera bhi pahuncha dijiyega.
vaakai me aise log bhadaai ke patra hai....
pankaj aur Rajnish jee aapako salaam, aapaki baaten yaad rakhuga.
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