बिहार को जो जनता है वो आरा को बहुत बढ़िया से जानता है। पहले जब लोग बाहर जाते थे तो सिर्फ़ एक बात कहते थे " आरा जिला घर बा तकवना बात के डर बा"। कुछ लोग इन् बातों को सुनकर आरा के बारे में जान गए, जो ऐसे सोच के थे। तो कुछ लोग जो इतिहास के बारे में जानते हैं वे लोग किताबों के जरिये जान गए। मैं जो लिख रहा हूँ वो आरा की ऐतिहासिक होने की बातें कहती हैं। आरा से बहुत से गिरमिटिया भी गुलामी के दौरान बिदेस गए, जिनकी चर्चा गिरिराज किशोर की किताब " पहला गिरमिटिया में भी है" । आरा वो शहर है जहाँ कुंवर सिंह ने आरा हाउस , जो महाराजा कॉलेज परिसर, आरा में स्थित है , उसके अन्दर अंग्रेजों को बंधक बनाया औरउन पर जीत हासिल की थी। आज उस आरा हाउस की बदहाली देखते बनती है। लाखों रुपये खर्च किए गए पर बदहाली जस का तस् बरक़रार। वही आरा मुफ्फसिल थाना के पास स्थित है प्राचीन बीबी जान का हाता। जिसका निर्माण शाहजहाँ के देखरेख में बीबी जान ने अपने पति शाहाबाद के पहले कलक्टर सर जॉन डिन् की याद में बनाया था। परन्तु आज इसकी सुधि लेने वाला कोई नही। भूमाफियाओं ने इसकी जमीं हथिया ली, जॉन डिन् का स्मारक टुटा पड़ा है। वहीँ आरा का नगरी प्रचारिणी सभागार भी अपने आप में ऐतिहासिक है। हिन्दी भाषा को बढावा देने के लिए उन्नीस सौ दो में कुछ बुधिजीविओं ने इसकी स्थापना की थी। कहा जाता है की इस नाम से एक बनारस और दूसरा आरा में ही सभागार है, जिसमे महात्मा गाँधी, पन्त जी जैसे कई महँ बिभुतिया आ चुकी हैं । परन्तु यहाँ अभी तक नाटो किताबों को रखने का सही प्रबंध है, नाही पढने के लिए उचित लाईट। भवन भी जर्जर होता जा रहा है। नगरी प्रचारिणी की अध्यक्ष डी एम् होती हैं परन्तु शुरू में तो वो इस्सका नाम भी नही जानती थी। ऐसे ही कई अन्य स्थल भी हैं ....जैसे बाल हिन्दी पुस्तकालय ,जहा बापू गए और उनका कक्ष भी बना है। जैन ओरिएण्टल लाइब्रेरी, होली चर्च, रमना मैदान आदि है। परन्तु सबकी स्थिति बदहाल है॥ नाटो सरकार सुधि लेती है और नही कोई और। आरा रेलवे स्टेसन पे क्रिश्नागढ़ देवरिया को ऐतिहासिक स्थल बताया गया है, परन्तु वह ऐतिसिकता के नाम पे अब खँडहर भवन ही शेष है। शायद दुसरे राज्यों में कोई ऐसा स्थल होता तो वो वो बिस्व पटल पे अपना नाम , अपनी पहचान ऐतिहासिक स्थलों में रखता.
22.2.09
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1 comment:
yaad taza ho gai.... bandhu....pol to khol hi aapne.... lekin koi sudhi nahi lene wala... bus aap likho ....padhnewale padhnge..aur koi kuchh karega hi nahi....kah sakte hain ki karne wala padhega hi nai... ki kuch karega.... aachh lika hai...keepit up.. is ke siwa kuchh aur kah nahi sakta......
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