सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
आँख में उसकी जादू है दिल को पागल कर जाता है
मैं जहाँ चलूँ मेरे साथ चले
उसके आँचल से शाम ढले
जुल्फों में घोर अँधेरा है
मुस्काए तो चाँद खिले
है ग़ज़ल किसी शायर का वो दिल जिसको हर पल गाता है
सांवली सूरत देख के उसकी जाने क्या हो जाता है
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18.2.09
तेरा चेहरा
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