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13.2.09

कैसे करूँ इज़हार

आंखों में हया उसकी
होंठों पर मुस्कान
याद दिलाती है उसकी
बेकरारी मेरी
सताती है
तडपाती है
कैसे करूँ इजहारे दिल
कैसे करूँ इकरारे प्यार
गुलाब दूँ
ख़त लिखूं
या मेरे खुदा
कोई और रास्ता बता दे॥

ज्ञानेंद्र
हिंदुस्तान, आगरा
rastey2manzil.blogspot.com

5 comments:

musaffir said...

beta lagta hai jammu ke isqe ka bukhar abhi utra nahi hai.
achcha likne laga hai. likhta rah. padh kar achcha lagta hai...

kunal

musaffir said...

beta lagta hai jammu ke isqe ka bukhar abhi utra nahi hai.
achcha likne laga hai. likhta rah. padh kar achcha lagta hai
kunal

dr amit jain said...

प्यार के लिए कुछ भी करेगा
आप की कविता दिल से लग गई है / यार उसे माने के लिए बोबी फ़िल्म का गाना गा दो / अंदर से कोई बहार न जा पाए .........../ सुने यहाँ
http://wwwdarddilka.blogspot.com/

dr amit jain said...

प्यार के लिए कुछ भी करेगा
आप की कविता दिल से लग गई है / यार उसे माने के लिए बोबी फ़िल्म का गाना गा दो / अंदर से कोई बहार न जा पाए .........../ सुने यहाँ
http://wwwdarddilka.blogspot.com/

यशवंत सिंह yashwant singh said...

बहुत खूब दोस्त