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11.2.11

अमर सिंह मांगते पूर्वांचल राज्य







अमर सिंह क पूर्वांचल अभियान

अमर सिंह का लोकमंच और पुर्वंकाहल राज्य। कई मामले में अनूठा है। राजनेताओं को मुद्दे की डरकर रहती है जो की सियासत क शगल भी है । पुर्वांचा की ग़ुरबत, बेकारी क दर्द ओढ़े अमर सिंह पूर्वांचल स्वाभिमान पदयात्रा के ज़रिये लोगों को उनके बदहाली क एहसास दिलाने निकले हैं। छः दशक पहले भी घज़िपुर के सांसद विश्वनाथ गहमरी पूरब क दर्द बयां करे हुए संसद में रो पड़े थें। दर्द होता है सबको अपनों का। जातीय राजनीती के लिए बदनाम यु पी में एक नए ताने-बाने के साथ एक नै ओबरत लिखने में जी जान से जुटे हैं। कहाँ तक कामयाब होंगे ये सवाल ज़रा टेढ़ा है। सभा में, यात्रा के दौरान लोगों से अमर सिंह कह भी रहे हैं कि मेरे जीवन के दस-पांच साल बचे हैं। यए कदम, ये सांसें तब तक नहीं रुकेंगे जाब तक पृथक पूर्वांचल राज्य न बन जाये। इसी पूर्वांचल की सरज़मीं में भगवन शंकर बसते हैं, बुद्ध बसते हैं, कबीर बसते हैं, प्रेमचंद, निराला और फ़िराक भी यहीं बसते हैं। मगर सरकारों की घोर उपेक्क्षा के चलते पूर्वांचल में गरीबी, भुकमरी और मुफलिसी का राज़ है।
बलिया से चंदौली तक के पूर्वांचल स्वाभिमान पदयात्रा के दुसरे चरण में अमर सिंह चंदौली ज़नपद के धनपुर स्थित शहीद पार्क में अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थें। लोगों की भीड़ ने उनके हौसले को दुगना कर दिया था। लोग किस लिए इकठ्ठा थें ये सवाल भी अपने में अलहदा है क्यूँ की साथ में जाया पर्दा और मनोज तिवारी भी चल रहें थे। खैर बीमारी को दरकिनार कर खूब बोलेन, कुकुरमुत्ते मोहन से लेकर बेशर्म मुलायम और सिफ़ी में होने वाले नंगे नाच तक। बोले पूर्वांचल बन कर रहेगा चाहे मेरी जान की कीमत ही क्यूँ न चुकानी पड़े। उधोग लगेंगे, कारखाने लगेंगे। रोजगार बढ़ेगी, खुशाली आएगी अगर पूर्वांचल राज्य का गठन होगा। मरी पदयात्रा कोई चुनावी मिशन नहीं बल्कि यह परिवर्तन यात्रा है। अपने लोगों के अधिकारों के दिलाने की यात्रा। अमर सिंह बोले योजना आयोग द्वरा दिए गए चालीस हज़ार करोड़ रूपये में का बीस हज़ार करोड़ रुपया कहाँ है जो पूर्वांचल के हिस्से का है। कैसी बिडम्बना हैकि सूबे की मुखिया बेजान बुतों के लिए ५०० करोड़ दे रहीं हैं जबकि पूर्वांचल के जिंदा लाशों के लिए सिर्फ २० करोड़ रूपये। अब हम खामोश नहीं बैठने वाले अधिकार नहीं मिलेगा तो चीन लेंगे।
पदयात्रा में भोजपुरी अभिनेता मनोज तिवारी भोजपुरी गीतों के ज़रिये लोगों को पूर्वांचल की कथा-व्यथा बता रहे हैं। वहीँ लोकमंच के राष्ट्रिय प्रवक्ता असगर खान पूर्वांचल के लोगों के ज़मीर को ललकार रहे हैं। हर हाथ अगर उठ रहा है तो पृथक पूर्वांचल के नाम पर। दुगने हौसले के साथ अमर सिंह पूरी लब्बो-लुआब में हैं। अमर सिंह कह भी रहे हैं---
हम तो दरिया हैं, हमे अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ भी चल पड़ेंगे, रास्ता हो जायेगा॥

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