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27.2.11

लोकतंत्र

मित्रो,
कई देशों में आज कल लोकतंत्र के लिए क्रांति हो रही है..भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है..लेकिन हमारे सिस्टम और इसको चलने वालों ने इसे कौन सी दशा और दिशा दी है..इसी की दुर्दशा पर लिखी गयी कुछ पंक्तियाँ..


जब संसद के गलियारे में,
ये सोच विचरने लगती है..
गाँधी के कपड़े पहने हुआ,
ये बाहुबली है या नेता है...
तब लोकतंत्र क्या सोता है??

जब संसद की सीमा के अन्दर,
रुपये लहराये जाते हैं....
जब सत्ता की बलिवेदी पर.
सिधांत चढ़ाये जाते हैं,
जब दूध की नन्ही चाहत में,
एक छोटा बच्चा रोता है...
तब लोकतंत्र क्या सोता है??

जब छद्म सेकुलर नारों से,
और सत्ता के हथियारों से,
कार सेवक मारा जाता है....
जब बाबू की घूसखोरी से,
बूढ़ा पेंशन की आँस गंवाता है...
जब पांच सितारा होटल में,
मंत्री जी का कुत्ता सोता है..
तब हाड़ तोडती ठंढक मे,
एक बूढ़ा पहरा देता है..
तब लोकतंत्र क्या सोता है?

जब जेल में बैठा जेहादी अफजल,
संसद में खून बहता है..
जब सीमा पर लड़ता प्रहरी,
ताबूत में वापस आता है..
इस लोकतंत्र की रक्षा में,
अपना सर्वस्व लुटाता है..
तब लाल किले का एक दलाल,
अफजल की गाथा गाता है...
जब उस शहीद का बूढ़ा बाप,
वो वीर पदक लौटता है....
सर्वस्व न्योछावर करने का
जब हश्र यहाँ ये होता है......
तब लोकतंत्र क्या सोता है??
तब लोकतंत्र क्या सोता है??
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आशुतोष
http://ashu2aug.blogspot.com/
http://ashutoshnathtiwari.blogspot.com/
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2 comments:

डा. मनोज रस्तोगी, मुरादाबाद said...

दुष्यंत कुमार के इस शेर के साथ-
बहुत मशहूर है आएँ ज़रूर आप यहाँ ,
ये मुल्क देखने लायक तो है,हसीन नहीँ ।
आपको बहुत बहुत बधाई
rastogi.jagranjunction.com

आशुतोष की कलम said...

धन्यवाद रस्तोगी जी