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28.2.11

मांतगी.....(राज शिवम)

 मद का जो नाश करती हैं,वही मांतगी है।सारे अच्छाई को ये मद नाश करता हैं।पद ,हो या बल आप बहुत प्रसिद्ध है,धनी है या भक्त अगर इसमें अहम जाये तो यह मद ही हुआ। 
यह मद जीव को बांधता हैं,तो उस बंधन से मुक्त करती है यह मांतगी।कितने पुण्य प्रभाव के बाद हमे मानव का जीवन मिला हैं।इस अमूल्य जीवन को हमे ऐसा करना चाहिए की मद का नशा इसे छू पाये इस मद से बचाती है मांतगी।मांतगी की साधना करने इस मद के नाश के साथ हमारी वाणी मधुर हो जाती हैं।ये संगीत की देवी है,मोहक आवाज,सुर का लय इनकी कृपा से प्राप्त हो जाता हैं।बिगड़े स्वर ठीक हो जाता है,वही बन्द स्वर भी खुल जाता है,जिवन में प्रेम का उदय होता है।हमारे सारे मदों का नाश कर ये हमें आगे बढ़ा देती हैं।

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