Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

22.2.11

भुवनेश्वरी....(राज शिवम)

भुवनेश्वरी:-

विश्व भुवन की जो,ईश्वरी हैं,वही भुवनेश्वरी हैं।समस्त भुवन में जो भी हैं,उसकी स्वामिनी हैं।इनका वर्ण श्याम तथा गौर वर्ण हैं।इनके लोक में पुरुष भी जाकर ,स्त्री बन जाते हैं।इनका भुवन अति सुन्दर हैं।नवरत्न जड़ित खम्बे इनकी जैसी सुन्दर इनकी नित्यायें,महा ऐश्वर्य,परम शांत,महामयी भक्तों पर शीघ्र प्रसन्न होने वाली इनकी सुन्दर चरण की छोटी नख में ब्रह्माण्ड का दर्शन होता हैं।
इनकी आज्ञा से जगत का सारा संचालन होता हैं। ये जीव की सभी इच्छा पूर्ण करती हैं। इनके बीज मंत्र से ही सारी सृष्टि की रचना हुई हैं।इन्हें राज राजेश्वरी पराम्बा भी कहा जाता हैं।शाक्त धर्म में बिना इनके मंत्र शक्ति से आगे बढ़ना कठिन है्।इनके बीज मंत्र सभी देवी देवता की आराधना में विशेष शक्ति दायक माना जाता हैं। इनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है,कि ये सौम्य तथा दया करने वाली हैं।ये सभी का पालन करती हैं,तथा इनकी कृपा तो भक्त को उस दिव्य दर्शन की अनुभूति हमेशा आनन्द में स्थिर रहने की कला प्रदान करती हैं।

क्रमशः अगले पोस्ट में माँ भैरवी का रुप वर्णन किया जायेगा....

No comments: