अब मेरी मजबूरी पर आंसू तो बहाओ ,
बड़ा मासूम हूँ इतना तो मान जाओ,
घोटाला क्यूँ हुआ? कैसे हुआ ?
पता नहीं चलता ;
मैं ऐसा बादशाह हूँ !
जिसका कहीं सिक्का नहीं चलता .
शिखा कौशिक
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
5 comments:
bhai vah...
वाह बहुत खूब्!
तो कुर्सी छोड क्यूँ नही देते?
bahut sahi farmaya aapne shikha ji..
by the way ye badshah hain bhi ya nhi,
mujhe to is par bhi doubt he...
kyunki inko an apni khabar
na jamane ki khabar,
logo ne bana diya mujhe
badhshah, par hum ne bekhabar
achchha laga.
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