तन्हाइयों की आहट ने जो इश्क जगाया,
बीसियों की चाप उसे मिटा न सकी ।
एक उम्र में मैंने दिया उल्फत का जलाया ,
क्या अजब है की एक फूँक उसे बुझा न सकी ।
तेरा जाना मुझे एक यादगार सा बनकर,
बारहा नम किया आँखें मगर रुला न सका ।
तू मेरे सामने घंटों रहा एक सच बनकर ,
जमाना भी है इर्द-गिर्द मैं भुला न सका ।
21.2.11
तन्हाइयों की आहट
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2 comments:
तेरा जाना मुझे एक यादगार सा बनकर,
बारहा नम किया आँखें मगर रुला न सका ।
तू मेरे सामने घंटों रहा एक सच बनकर ,
जमाना भी है इर्द-गिर्द मैं भुला न सका ।
क्या खूब कहा ......
dhanywaad,anitaji!
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