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20.1.08

"कोई नहीं है हीरो इनमें"

"कोई नहीं है हीरो इनमें"

***राजीव तनेजा***

गर मिल जाए सत्ता इन्हें
तोड डालें सारे नियम
रच डाले नित नए प्रपंच
तोडें कुर्सी खींचे मंच

ना पंचायत को पंच मिलेगा
ना शातिर को अब महादंड
मिलकर लूटेंगे खुलकर खाएंगे
मचाएंगे हल्ला और हुडदंग

कोई नहीं है हीरो इनमें
रहे तीनों हमेशा विलेन
अपने नेता उनके गुण्डे
और उनकी पुलिस

गढा मिल कर तीनों ने
ऐसा अजब-गज़ब त्रिकोण
फैला चहूँ ओर भर्ष्टाचार
आंतक हुआ कण-कण

पेट हैँ इनके बडे- बडे
खाल सख्त गैंडे सी मोटी
समझा है देश को अपना
जायदाद हुई ये बपौती

खुल कर वो खेलेंगे
सहमे सहमे हम झेलेंगे
वो झूठी आस जगाएंगे
हमें तिगनी नाच नचाएंगे

गद्दी के हकदार हैँ वो
लूटे खसोटे हमेशा जो
पुलिस नेता कैसे हों
गुण्डे मवाली जैसे हों

हाँ!....ऐसे हों ऐसे हों


***राजीव तनेजा***

2 comments:

ghughutibasuti said...

सही कह रहे हैं ।
घुघूती बासूती

anil yadav said...

भाई वाह...........
अनिल यादव