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14.9.08

आखिर क्यूं न बदले कपडे

आखिर क्यूं न बदले कपडे

श्री पाटिल साहेब नमस्कार।।।।
भाडासियों को राम राम।।।।

आज सुबह से ही खाबरिया चैनलों पर एक खबर बार बार दिखाई जा रही है कि आदरणीय पाटिल साहेब ने दिल्ली में बम धामाकों के बाद तीन बार कपडे बदल लिए।। अब सुनिये मुद्दे की बात।।। वो यह है कि धामाकों के डर से जब गीली पीली होती है।।। तो जनाब यही होता है।।। ससुरे टीवी वालों का क्या है।। इन्हें तो दिखाना है। सो दिखाएंगे।। पर जनाब पाटिल साहब का दरद कौन समझे।। सोचिए पांच धामाके हो जाए ऒर कोई तीन बार भी कपडे न बदले।।। ये तो पाटिल साहेब बडे हिम्मत वाले है।। जो तीन बार ही बदले है।।। वैसे टीवी वाले बडे संवेदनहीन है।। किसी ने एक भी बाइट एसी नहीं ली जिससे पता चलता कि पाटिल साहब के लिए इतने व्यस्त शेड्यूल में इतना अरेंज करना कितना मुश्किल रहा होगा।।। ईश्वर टीवी वालों को थोडी अक्ल दे।।। कि अगर खबर दिखानी है तो साफ साफ दिखाए कि क्या हुअा था।।। एसे चिकोटी न काटें।।। पाटिल साहब आप लगे रहो हम साथ है।।।।

3 comments:

arvind said...

बहुत सही चिकोटी काटी है बाबा। ये लेख पढ़कर पढ़कर पाटील साहब अब महीनों एक ही कच्छा पहनेंगे।
जय भड़ास।

mrit said...

पाटिल साहिब की पैंट गीली हो जा रही होगी कि कहीं ये बम मेरे घर पर फटी होती ततो..............

Anonymous said...

चिकोटी काटने वाले पत्रकार जरा आईने में अपनी शकल भी देख लें, जिस कांफ्रेंस में मुर्गा दारू ना हो और साथ ही लिफाफा का जुगाड़ ना हो कितने प्रतिशत पत्रकार वहां जाना चाहेंगे,
हमाम में दो ही नंगे
जय राजनेता और जय पत्रकार,
आखिर ये ठहरे जो ठेकेदार.

जय जय भड़ास