आज की पत्रकारिता
शनिवार की रात
अन्तिम, संचिका
प्रेषित करने के बाद
कार्यालय प्रभारी और मैं
दफ्तर में बैठा ,गप्पे लरा रहा था ।
कैसी है आज की पत्रकारिता ?
तभी श्रीमान के चल भाष में
कम्पन हुआ ,
नमस्कार ,अभिवादन के पश्चात्
दूसरी और से ,एक कर्कश आवाज ने पूछा
माओवादियो की ख़बर कैसे छुट गई ?
कंपकपाते स्वर ने उत्तर दिया ,
जी दरसल देर रात घटना की पुष्टि हुई
कल पहली संचिका में ,एक धासू ख़बर भेजिए
इस कठोर निर्देश के साथ ,वार्ता समाप्त हुई
पसीना पोछते श्रीमान से मैंने कहा ,
अब आप क्या लिखेंगे ,मूल ख़बर तो छप गई है
सबने क्या लिखा है ,यही न ,
शहर में माओवादियों का जमावारा है
जी बिल्कुल
तो अपनी भी धासू ख़बर तैयार है ।
"मुजफ्फरपुर केन्द्रिये कारा माओवादियो के निशाने पर "
मैंने विस्मय से पूछा श्रीमान ,
यह सूचना है , संभावना,या की मनोभावना है ,
आख़िर यह क्या है?
अरे यार कुछ भी नही
यह आज की पत्रकारिता है //
अमिताभ भूषण
9971760988
8.9.08
आज की पत्रकारिता
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5 comments:
bhai ji,
patrakarita par aapki kavita sahi baithati hai.
khabar sach se jyada sanasanikhej honi chahiye.
vishvashaniya se adhik pathaniye honi chahiye.
yahi asli patrakarita hai baki sab farji.
birendra yadav 09304170154
मदारी जैसा नचाए,बन्दर को नाचना ही पडेगा।
शेष फ़िर कभी....
बहुत खूब लिखा आपने, आज के पत्रकारों के ढोल का पोल यानि की बन्दर का नाच. लाला जी की दुकान के ये बन्दर इसी मदारी के हाथ का तमाशा बनकर पत्रकारिता की बखिया उघेरते हैं जिसे आम लोग पत्थर की लकीर समझते हैं,
एक तरफ़ की ये पत्रकारिता तो दुसरे तरफ़ " अरे भइया अखबार में आया है सब सही है" यानी की नेता जी के राह पर चलती पत्रकारिता बिल्कुल नेतागिरी की तरह आमजन से छलावा कर रही है और पत्रकार चौथा खम्भा बने हुए हैं.
जय जय भड़ास
bahut khub,
lekin unka kya karen jo sare bajar mukhaymantri ki charan vandna karte hain or unse milne ko tarsate hai.
ye to vo patrkarita hai jo bhadas ke jariye bahar aa gai. uska jikr bhee karlen jo duniya ko mitane kee baten kar rahe the. unka jikr bhee jaruri hai jo jansabha me mukhymantri ki charan vandna karte hai unse khas chamchagiri style me milte ya milaye jaate hai ya yu kahe ki samrpit kiye jate hai.
-----naradmuni ganganagar
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