स्वयम्बरा
१
मर गई 'वह''
भूख 'से बिलबिलाते
सोती रही 'मानवता '
२
'प्रेम' की जगह
लिख दो 'भूख '
लैला-मजनूअब पैदा नही होते
3
आदमी 'भूखा 'है
वो नोचता है हर वक्त दूसरों को
उन्हें मार देने तक
अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
स्वयम्बरा
१
मर गई 'वह''
भूख 'से बिलबिलाते
सोती रही 'मानवता '
२
'प्रेम' की जगह
लिख दो 'भूख '
लैला-मजनूअब पैदा नही होते
3
आदमी 'भूखा 'है
वो नोचता है हर वक्त दूसरों को
उन्हें मार देने तक
1 comment:
kshanikayen kafi achchhi hain. par samajha me nahi aya bhukh v prem ka samabandha.
birendra yadav
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