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3.9.08

छानिकाए-भूख पर

स्वयम्बरा

मर गई 'वह''

भूख 'से बिलबिलाते

सोती रही 'मानवता '

'प्रेम' की जगह

लिख दो 'भूख '

लैला-मजनूअब पैदा नही होते

3

आदमी 'भूखा 'है

वो नोचता है हर वक्त दूसरों को

उन्हें मार देने तक

1 comment:

bihari khichady said...

kshanikayen kafi achchhi hain. par samajha me nahi aya bhukh v prem ka samabandha.
birendra yadav