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7.4.09

सियासी मित्रो जान लो :: शब्दों के साथ ज़हर उगलना तालिबानी कल्चर है

जुबान से निकलता ज़हर
सुलगते शहर...!!
तुम श्रृष्टि के नियंता
बनाने की होड़ में
आम आदमीं
पिसता घुड़ दौड़ में ...!!
आपको को ये जान लेना ज़रूरी है कि देश आपकी गंदी जुबां से निकले गलीच और भदेस शब्दों को कदापि नहीं स्वीकारेगा आप जो भी हों जिस रंग,वर्ण,धर्म,समूह के हों जिन्दगी के लिए वफादार रहिये वतन के लिए वफ़ा दार रहिये . आप के - कथन से यदि देश में आग लगे तो आप "कसाब" से कम नहीं . यह अब स्वीकार्य योग्य कदापि नहीं कि "इश्क और जंग (जिसे हम चुनाव और आप जंग समझतें हैं ) में सब जायज़ होता है "
आप किसी को ".........." प्रतिक्रिया स्वरुप आप कहें:-............ चलवा देता कितनी ओछी बात है ."
भारत के गृह मंत्री के रूप में नहीं एक अपराधी के रूप में आप कुछ भी चलवाएं किन्तु मित्र मेरे / हमारे देश को हमारा देश रहने दें अपनी मिलकियत न मानें .संविधान का आदर करना सीखें .
एक आम भारतीय की हैसियत से हमारा आग्रह है निवेदन है निर्देश भी
जय भारती : जय जन-तंत्र

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