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24.10.09

फील गुड फैक्टर और नम्बर 1 हरियाणा

वोटों की मतगड़ना समाप्त हुई । चुनावो का बेहूदा विश्लेषण भी समाप्त हुआ । तीनो राज्यों में कांग्रेस की सरकार बननी लगभग तय है । लोकसभा चुनावों में भा.जा.पा. की हार के बाद उसको मौका मिला था सबक लेने की , लेकिन सबक नही । अब , कभी ई.वी.एम. मशीनों को दोषी ठहरा रही है तो कभी राज ठाकरे को ।
ये हाल है एक राष्ट्रीय पार्टी की । पाँच राज्यों में बी.जे .पी . की सरकार है बावजूद इसके बी.जे .पी . की पतन गाथा जारी है। इस पतन का कारण अनगिनत चिन्तनशीलों और आत्ममंथन बैठकों में अभी तक नही निकल सका है। बेशक , दुनिया जानती है कि बी.जे .पी . के पतन का कारण वो चौकडी है जिसकी धुरी का नाम है एल.के. आडवाणी ।
वहीं दूसरी ओर हरियाणा में भूपेंदर सिंह हुड्डा फील गुड के शिकार हो गए बिल्कुल वैसे ही जैसे सन २००४ में अटल बिहारी वाजपेई की सरकार फील गुड फैक्टर की शिकार हो गई थी । तब की सरकार ने प्रमोद महाजन और अरुण जेटली के चक्कर में आ कर वक्त से पहले चुनाव करवा दिए थे । भूपेंदर सिंह हुड्डा किसके चक्कर में आ कर वक्त से पहले चुनाव करवा दिए , मालूम नही । भूपेंदर सिंह हुड्डा ने हरियाणा को नम्बर १ बनाने का दावा किया था । हरियाणा ने भी उन्हें नम्बर 1 बनाया लेकिन 27 सीटें कम देकर ।

1 comment:

आमीन said...

फील गुड या फील बेड

http://dunalee.blogspot.com/