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27.4.10

भ्रष्टाचार और घूसखोरी को हमने ही जन्म दिया हैं.


आज कल के इस दौर में अगर कुछ भी काम करवाना हो तो बैगैर पैसे और जान पहचान के संभव नहीं हैं.
 ऊपर लिखे कथनमें कितनी सच्चाई हैं ये तो हर समझदार व्यक्ति के समझ में आ जाएगा. जहाँ तक मेरा मानना हैं की हर व्यक्ति की एक इच्छा होती हैं की वो जिस चीज की चाह कर रहा हैं वो जल्द से जल्द पूरी हो जाये. चाहे उसकी चाह भारत के सविधान का ही उलंघन ही क्यों न कर रही हो. क्योंकि इस दौर में हर व्यक्ति सिर्फ अपने फायदे और अपने हित के लिए ही कार्य कर रहा हैं और उन सभी नियमो और कानूनों का उलंघन करता चला जा रहा हैं जिन्हें हमसे पहले हमारे देश के कुछ महान व्यक्तियों द्वारा देश की हित की रक्षा और कानून व्यस्था बहाल रखने के लिए बनाया था. लकिन क्या हम ये सही कर रहे हैं और किस हद तक और क्या हम उस भारतवर्ष देश के निवासी जिसे आजाद करने के बाद फिर से सोने की चिड़िया बनाने का ख्वाब देखने वाले चाचा नेहरु या फिर महात्मा गाँधी जी आदि जैसे कई महान व्यक्तियों ने देखा था.
वैसे भी आज की क़ानून व्यवस्था ही कुछ ऐसी हो चुकी हैं जैसा की उन अंग्रेजो के ज़माने में थीबस फर्क इतना हिन् की अंग्रेज सैनिक कम से कम अपने देश के लिए तो वफादार थे लेकिन अब तो हमारे देश में कानून नाम की कोई चीज नहीं बची.

आये दिन संचार पत्रों में खबर आती हैं :-
किसी नेता के चमचों ने उस नेता को लाखो करोडो की नोटों की माला पहनाई हैं और बाद में जब पता चला इसके बारे में तो उसका मूल्य कम बता कर उस तरफ से सबका ध्यान भी हटा दिया गया.
और इसमें हमारी देश की मीडिया ने भी कुछ कम साथ नहीं दिया इस खबर को शुरुवात में तूल तो दिया लेकिन बाद में इनको भी पता नहीं क्या हो गया की इन्होने भी ये खबर दिखानी बंद कर दी.
और वहीँ दूसरी तरफ मुबई के एक बड़े राज्यप्रेमी राज ठाकरे की ने शाहरुख़ को सिर्फ इस लिए माफ़ी मंगवाई की उन्होंने दो चार बाते पाकिस्तान की बडाई में क्या कह दी और इस खबर को तो मीडिया ने कितने दिनों तक दिखाया.
बात फिर वहीँ आ गयी की भई यहाँ पर सच्चाई का जमाना नहीं बस अपना घर देखो भई बाकी दुसरो के घर में चाहे कुछ भी दिक्कत क्यों ना आ जाये.


अब आपको किसी सरकारी काम को करवाना हो तो बाबु को घुस दो नहीं तो आपका काम नहीं होगा और या फिर सरकरी दफ्तरों में कोई रिश्तेदार हैं तभी आपका काम होगा वरना नहीं होगा.
वरना फिर चक्कर काटते रहिये कभी ना कभी तो फिर काम आपका हो ही जायेगा.



अब तो किसी व्यक्ति की शिकायत हमारे क़ानून के रखवाले पुलिस वालो से करनी हो तो भी डर लगता हैं.
क्योंकि ये भी क़ानून की खूब धज्जिय उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. बेकसूरों को मार मार कर मर डालते हैं और कसूरवार बहार घूमते हैं अपने पैसे के बल पर. और जिस देश में क़ानून के रखवालो का ही ये हाल हैं तो वहां पर सब बन्दे ही ऐसे होंगे.अपने अगर किसी बदमास के खिलाफ कोई भी रिपोर्ट दर्जभी कराई तो और वो बदमास थोडा पैसे वाला हुआ तो फिर आपकी शामत आ गयी फिर आप अपने आप को ही कोसेंगे.




फिर अभी मैंने कहीं पढ़ा की अब शिक्षा के साथ भी बहुत बड़ा खिलवाड़ हो रहा हैं क्योंकि बिना चंदा सिये किसी भी अच्छे स्कूल में आपके बच्चे का प्रवेश या दाखिला नहीं हो पायेगा.
लेकिन इसके लिए हम जिम्मेदार हैं क्या ?

अभी भी आप मे से कई लोग सोच रहे होंगे की मैं तो नहीं हूँ इन घूसखोरी जैसी चीजो के लिए लेकिन कहैं ना कहीं आप भी इससे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.
मैं आपको इसका सीधा सा एक उदहारण से समझाता हु जिससे मैं आशा करता हु की आपलोगों को भी समझ आ जाये की मैं क्या कहना चाहता हु, होता क्या हैं की

आप का बेटा बड़ा हो गया हैं और आपको उसका दाखिला करवाना हैं और वो भी बढ़िया से बढ़िया स्कूल में और आप स्कूल जाते हैं उसके दाखिले के लिए और वहां के प्रधानाचार्य से आप मिलते हैं और वो आपको बोलता हैं की भई हमारे यहाँ पर तो सीते काफी कम हैं और हम सिर्फ उन्ही विद्यार्थियों का दाखिला करेंगे जो इन सीटो के लिए उपयुक्त होंगे और जिनके नंबर भी अच्छे होंगे. लेकिन अब आपके बच्चे के नमबर कम हैं और दाखिला नहीं हो पाया, फिर ? आपने सोचा की क्यों ना प्रधानाचार्य जी से थोड़े से लेन-देन की बात की जाये और दाखिला हो जाये. बस यहीं पर आकर अपने एक ऐसा सिलसिला चालू कर दिया की जो बाद में दुसरो के लिए कठिनाई पैदा कर देगा. क्योंकि आपके एक बच्चे का तो दाखिला तो हो गया लेकिन उस बेचारे दुसरे बच्चे के बारे में अओने बिल्कुल भी नहीं सोचा जिसके जगह पर आपके बच्चे को दाखिल किया गया. चलिए इसे भी छोड़े आपने जो एक सिलसिला चला दिया घुस देने का वो शायद ही भविष्य में कभी रुकेगा क्योंकि अब उस प्रधानाचार्य के पास और धन कमाने के साधन के रूप में एक नया जरिया भी मिल गया जिसमे उसे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी.

बात आईने की तरह साफ़ हो गयी की ये घूसखोरी का सिलसिला भी अपने ही शुरू किया हैं और जब आपका बुरा वक्त चल रहा हो और आपसे भी कोई
घुस मांग रहा हो तो आपबस दिमाक में यहीं ख्याल लेंगे की कितना भ्रष्टाचार और घूसखोरी के दलदल में हमारा देश डूब चूका हैं लेकिन आपको हक़ नहीं हैं ऐसा ख्याल लाने का क्योंकि शुरुवात भी तो आपलोगों से ही हुई हैं.

इसे शुरू भी आपने किया हैं तो बंद भी आपको ही करना पड़ेगा. तो लग जाईये अपने भविष्य को बचाने में अभी से. और इस मुहीम को और लोगो तक भी पहुचाये और उन्हें भी जागरूक बनाये क्योंकि वो पैसा जो पानी की तरह आप घूस में बहा देते हैं वो आपकी मेहनत की कमाई का हैं और आप इसे ऐसे ही व्यर्थ में ना जाने दे.

1 comment:

SANJEEV RANA said...

bilkul thik kaha aapne.
hamne hi janam aur badhawa diya hain in sab ko
hame hi khatam karna padega