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8.4.10

भाजपा के तीन साल कांग्रेस के पांच वर्षों पर भारी


देहरादून। प्रदेश में भले ही अभी विधनसभा चुनाव को लेकर डेढ वर्ष का समय बचा हो लेकिन भाजपा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनाव में जुट जाने का मूल मंत्र देते हुए जनता के बीच सरकार की विकास योजनाओं को मजबूत ढंग से पहुंचाने के लिए कमर कस ली है। भाजपा ने जहां जनता के बीच कांग्रेस सरकार के पांच वर्षों के शासनकाल में किये गये विकास कार्यों को जनता के बीच रखा है वहीं भाजपा सरकार के तीन वर्ष में किये गये विकास कार्यों को भी जनता के बीच पहुंचाया गया है। पार्टी कार्य कर्ताओं को उन्नत उत्तराखंड बनाने का संकल्प दिलाकर प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं को जनता के बीच भुनाने का कार्यक्रम भी शुरू किया जा चुका है। आगामी २१ अप्रैल को होने वाली महंगाई के खिलाफ दिल्ली रैली को लेकर भी भारतीय जनता पार्टी ने पूरी तर ह कमर कस ली है। उत्तराखंड से १० हजार कार्यकर्ताओं को दिल्ली ले जाने का पूरा खाका तैयार कर लिया गया है और जिलों के जिलाध्यक्षों को साफ निर्देश दिये गये हैं कि अपने-अपने जिलों से लक्ष्य से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं को दिल्ली कूच के लिए तैरूार किया जाए।
भाजपा ने जहां अभी से ही कंाग्रेस सरकार के पांच वर्षों को अपनी सरकार के तीन वर्षों से तुलनात्मक प्रमाण के साथ जनता के बीच कार्यकर्ताओं को तैयार किया है उसने कांग्रेस की जमीन को पूरी तरह हिला कर रख डाला है। कांग्रेस जहां अभी तक प्रदेश में इस ओर ध्यान नहीं दे पाई है वहीं सरकार के विकास कार्यों को देखकर पूरी तरह बौखला गई है। विधानसभा में भी जिस तरह से सरकार ने मजबूती के साथ सबसे अधिक दिनों तक सदन को चलाकर जनता के बीच मुद्दों को लेकर चर्चा कराए जाने का श्रेय लिया है उससे निश्चित रूप से कांग्रेस की बौखलाहट हंगामे के बीच ही उलझ कर रह गई है। गुटों में बंटो कग्रेसी जहां प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर गुटबाजी में उलझे हुए हैं वहीं सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने में भी उनके पास कोई खास मुद्दा हथियार के रूप में नजर नहीं आ रहा। कुल मिलाकर भाजपा ने अपने तीन वर्ष के शासनकाल में सडक समाज कल्याण, ऊर्जा, पर्यटन, पेयजल व अन्य विभागों में किये गये विकास कार्यों को जनता के बीच पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है।
मुख्यमंत्री निशंक के कुशल नेतृत्व में जिस तरह से प्रदेश का विकास कार्य लगातार सुचारू रूप से किया जा रहा है उससे निश्चित रूप में कांग्रेस में खलबली मच गई है। औद्योगिक पैकेज के मुद्दे को लेकर भी कांग्रेस जनता के बीच कोई संदेश नहीं दे पाई है क्योंकि केंद्र ने राज्य के औद्योगिक पैकेज को लेकर अवधि न बढाए जाने से इसका संदेश भी कांग्रेस के विपरीत जाता हुआ देखा जा रहा है। वहीं जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर भी केंद्र द्वारा बंद की गई विद्युत परियोजनाओं से भी प्रदेश की जनता में उसके खिलापफ नकारात्मक रूख सामने आ रहा है। कुल मिलाकर भाजपा ने अपने राजनैतिक ग्राउंड को प्रदेशभर में तैयार कर उन विधानसभा क्षेत्रों में किलेबंदी शुरू कर दी है जहां कांग्रेसी वोट बैंक अधिक हैं। भाजपा के इस घटनाक्रम ने उन कांग्रेसी नेताओं को हिलाकर रख दिया है जो अपने क्षेत्र में मजबूत पकड होने का दावा कर रहे थे। भाजपा की इस किले बंदी ने कांग्रेसी नेताओं को उनके ही विधानसभा क्षेत्रा में घेरने का मूलमंत्र भाजपा कार्यकर्ताओं को दे डाला है। वहीं कांग्रेस की किलेबंदी करते हुए आरक्षित हुई विधानसभा सीटों में चुनाव लडने वाले भाजपा के सीटिंग विधायकों ने भी अन्य विधानसभा क्षेत्राों से चुनाव लडने को लेकर अपना होमवर्क करना शुरू कर दिया है। राजपुर से भाजपा के विधयक गणेश जोशी मसूरी से चुनाव लडने की तैयारी में जुट गये हैं। वहीं उधमसिंहनगर के बाजपुर से भाजपा विधायक अरविंद पांडे ने गदरपुर सीट से चुनाव लडने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। हल्द्वानी की सीट को लेकर भी बंशीधर भगत तैयारियों में जुटे हुए हैं वहीं कालाढूंगी की नई विधानसभा बनने के कारण वहां भी कांग्रेसी खेमे को पटखनी देने के लिए जमीन तैयार की जा रही है। चर्चाएं यह भी हैं के एक दर्जन से अधिक सीटें विधायकों के टिकट काटकर नये लोगों को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है जिससे २०१२ के विधनसभा चुनाव में एक जुटता के साथ पुनः सत्ता में काबिज हुआ जा सके। कुल मिलाकर वर्तमान में चल रही राजनीति भविष्य में क्या गुल खिलाएगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। भाजपा विधानसभा चुनाव को लेकर आत्ममंथन के साथ सामान्य कार्यकर्ताओं को भी साथ लेकर चलने में जुट गई है।

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