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12.8.10

कॉमनवेल्थ गेम्स या घोटाले का महाकुंभ?

देश की साख बने कॉमनवेल्थ गेम होने वाले हैं यानि एक बड़ा महाकुंभ, लेकिन खेलों पर घोटालेबाजी की जैसी काली छाया पड़ रही है वह शर्मदारों के लिये शर्मनाक है। भ्रष्टाचारियों की जमात जो गुल खिला रही है मीडिया उसकी बखिया उधेड़कर सही काम कर रहा है। भ्रष्टाचारी खुद भी कभी तय नहीं कर पाते कि कौन कितना बड़ा भ्रष्टाचारी। वह रिकार्ड बनाना चाहते हैं। एक ऐसा रिकार्ड जो दुनिया में नाक कटवाने का काम करे। जमकर राजनीति हो रही है, कोई बोलता है, तो कोई मोनीबाबा बना हुआ है। बात करोड़ों की है फिर इतना बड़ा मौका भी तो बार-बार नहीं मिलता। हालांकि भ्रष्टचार के आरोपों में घिरे कुछ अधिकारियों को आराम करने के लिये भेज दिया गया हैं। आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी शराफत से कह रहे हैं कि तब तक अपने पद पर बने रहेंगे जब तक प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या ओलंपिक एसोसिएशन उन्हें हटने के लिये ना कहे। वाह! क्या बात है जनाब। आपकी सहमति के बिना वैसा कुछ हुआ नहीं है। सवाल यह है कि यदि मीडिया नहीं चाहता तो क्या यह सच सामने आ पाता? कतई नहीं। मीडिया को दूर रखने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन सरकार यहां फेल हो गई। चंद रोज पहले समाचार पत्रों में सहारा इंडिया परिवार के सुब्रत रॉय सहारा की तरफ से लाखों रूपये का विज्ञापन भावात्मक अपील के तौर पर छपवाया गया। जिसमें कहा गया है कि ‘‘हमें पूरी विनम्रता से यह स्वीकार करना चाहिए कि मीडिा ने पहले ही अति कर दी है जिससे देष की छवि को बहुत बड़ा आघात पहंचा है। निष्चिय ही मीडिया को अपनी भूमिका के तौर पर अपराधियों को क्षमा नहीं करना चाहिए लेकिन उसे अपने वर्तमान अभियान को तब तक के लिए स्थगित कर देना चाहिए जब तक कि राष्ट्रमण्डल खेलों का आयोजन सफलतापूर्वक नहीं सम्पन्न न हो जाए।’’ बड़ी अपील का उक्त छोटा सा हिस्सा है। लब्बोलुआब यह कि खेल सम्पन्न होने के बाद कार्रवाई होनी चाहिए। वैसे मीडिया को उनकी अपील हजम नहीं हो सकी। अभी भी जमकर बखिया उधेड़ी जा रही है। राम जाने आगे क्या होगा?--नितिन सबरंगी

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