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7.9.10

अब खाले बेटी आखिर…………….


फोन के घंटी की आवाज़ सुनते ही सुबह से इंतजार कर रही रुक्मिणी के अन्दर अचानक जोश आ गया और दौड़ती हुई फोन रिसीवर को उठा कान में लगाते ही बोल पड़ी भैया कैसे हो मेरी राखी आपने बांधी की नहीं,आपको पता है की ये आपकी बहन आपके फोन का ही इंतजार कर रही थी पहले ये बताओ आपने कुछ खाया की नहीं मुझे भी बहुत जोर की भूख लगी है भैया और पता नहीं क्या क्या बिना साँस लिए बोलते हुए उदास हुई रुक्मिणी काफी खुश दिख रही थी की अचानक ही उसकी आवाज़ रुक गई……………दर असल फोन कम्पनी से आपरेटर का था जो बकाये बिल की याद दिलाने के लिये किया था! रिसीवर रख दुबारा उदासी से दोस्ती करते हुए रुक्मिणी बैठका में उस टेबल के बगल में जा कर बैठ गई जिस पर उसके इंजीनियर भाई प्रमोद की फोटो रखी थी तथा हँसते हुए प्रमोद के फोटो को देख अचानक सारा गुस्सा उतारते हुए बोल पड़ी आज मै भी देखती हूँ की आप मुझे याद करते हो की नहीं और हाँ एक बात और सुन लो चाहे सूरज पूरब के बजाय पश्चिम से क्यों न उगे खाना तो तभी खाऊँगी ज़ब तक हर साल की तरह आप मुझसे पूछ नहीं लेते! इतने में उसकी पुराणी और प्रिय दोस्त अपने नये मोबाइल जो उसके भाई श्याम ने उसे १२ वी में फर्स्ट आने पर देने के लिए कहा था को हाथ में लिए जिसमे गाना चल रहा था बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बाधा……………………. को सुनते हुए “रानी” उसके बगल में बैठ कर मोबाइल दिखाते हुए बोली हे रुक्मिणी तेरे से मैंने बताया था न की अगर मै फर्स्ट आई तो भैया मुझे नया मोबाइल देंगे सो देख आज राखी के दिन मुझे मेरा तोफा मिल गया कहते हुए इतना खुश थी की मानो उसके शब्द लड्बदा रहे थे और खुश क्यों न हो आखिर उसे उसका तोहफा इतने अच्छे मौके पर जो “आर्थिक मंदी के दौर में इंजीनियरिंग पास कर सौ कंपनियों में हाथ पांव मारने के बाद अपने पिता की छोटी सी खेती को अच्छे द्धंग से कर पैसे कमाने का द्रढ़ संकल्प लिए परिवार की सभी जिम्मेदारियों को निभा दुःख सुख में सबके साथ रह रहे उसके प्यारे भैया रमेश ने जो दिया था” की बातों को सुनती हुई रुक्मिणी के आँखों से अचानक आंसू आते देख रानी खामोश होकर बोली अरे रुक्मिणी तू रो रही है लेकिन क्यों अरे पगली आज तो ख़ुशी का दिन है यार और हाँ सबसे पहले तो ये बता तेरा कंप्यूटर कहाँ है जो तेरे भैया ने इस बार तेरे को राखी पर भेजने के लिए कहा था,कंहा है वो चल दिखा ना,ये अचानक क्या हो गया तेरे को आज यार जो तू जको जाही है ! रानी के काफी पूछने पर कुछ देर बाद अपने ज़मीन पर गिरे दुप्पटे के एक कोने से आँखों को पोंछती हुई रुक्मिणी बोली कुछ नहीं यार देख ना भैया से “परसों ही बोली थी की राखी वाले दिन अपना मोबाइल स्विच ऑफ मत रखना लेकिन पता नहीं क्योँ उनका मोबाइल बंद है और उधर से उन्होंने अभी तक कोई कॉल भी नहीं की” सो ऐसे ही अच्छा नहीं लगा रहा था कुछ पता नहीं उनको मेरी राखी मिली भी है की नहीं बात होती तो पूछती की कंप्यूटर किससे भेज रहे हो! उधर प्रमोद भी क्या करे बिचारा उसने और रमेश एक ही साथ इंजीनियरिंग पूरी की थी उस आर्थिक मंदी में कंपनियों की मार को देख रमेश यहीं रुक गया और हमेशा घर पर सबके साथ रहने के सपने देखने वाले प्रमोद को उसके पिता ने लाखों रुपये खर्च कर अपने विदेश में रह रहे दोस्त से कह कर उसे विदेश भेज दिया खैर बे मन प्रमोद के वंहा पहुचने पर उसे नौकरी तो मिली लेकिन इंजीनियर की नहीं ड्राईवर की क्योकि आर्थिक मंदी अपने जोर पर जो था अब प्रमोद क्या करता उसे तो नौकरी करनी ही थी क्योकि आखिर “उसके पिता नदी के उस पार वाले गांव के स्कूल में हेड मास्टर जो रह चुके है आखिर उन्होंने समाज में अपने इज्ज़त को बनाने के लिए जो उसे विदेश भेजा है ताकि छेत्र में लोंगो से ये बता सके कि उनका बेटा विदेश में रहता है” का मोबाइल बैटरी ख़त्म हो जाने के कारण स्विच ऑफ हो गया था और साथ में कंपनी के मेनेजर साहब का ब्यस्त कार्यक्रम,सो कल से अपने रूम भी नहीं जा पाया था उसे याद तो था की आज रछा बंधन है उसकी प्यारी बहन रुक्मिणी उसके फोन का इंतजार कर रही होगी एक बड़ा भाई होने के नाते उसके भी मन में बेचैनी थी लेकिन बिचारा क्या करे अगल बगल कहीं पी0सी0ओ0 भी नज़र नहीं आ रहा था! और इधर रुक्मिणी रानी की बातों को सुन कर यही सोच रही थी कि किस तरह पापा ने भैया को “सामाजिक प्रतिस्ठा के लिए ज़बरदस्ती विदेश भेजा” आज अगर भैया यहाँ होते तो कम से कम आज के दिन हम लोग साथ बैठ कर खाना खाते,अब मै पापा को समझाऊंगी कि रमेश यहीं खेती बारी ही कर कैसे अपने परिवार के साथ ख़ुशी से है और हाँ अब भैया का फोन आएगा तो भैया से ये भी बोल दूंगी कि भैया मुझे कंप्यूटर नहीं चाहिए आप घर आ जाईये यंही कोई धंधा कर लीजिये और मै भी आपका उसमे हाथ बताऊंगी! काफी गहरे सोच में डूबी रुक्मिणी अचानक ही अपने कंधे पर अपनी बूढी माँ के लचीले हाथ का एहसाश पाकर पलट कर देखी जो उसे काफी देर से यही समझाने कि कोशिश कर रही थी कि “अब खाले बेटी दिन के तीन बज गए और तुमने सुबह से अभी कुछ भी नहीं खाया आखिर कब तक इंतजार करेगी”प्रमोद के फोन का हो सकता है कि कहीं ब्यस्त हो गया हो और फिर आखिर तेरी राखी तो उसे मिल ही गयी होगी ना और अब तक तो वो बांध भी लिया होगा………………………………!