माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो
इस तरफ न उस तरफ बस एक तरफ चले चलो
तड़प रही कराहती माँ भारती पुकारती
दंश दे रहे हैं दानव मेरी तुम रक्षा करो
माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो
रक्त की हर एक बूँद , कर्ज माँ के दूध का
कर्ज ये उतार दे शीश अपना वार दे
माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो
इस तरफ न उस तरफ बस एक तरफ चले चलो
वो गोल घर हैं बना अड्डा जालिमो लुटेरो का
धन पशु डकार रहे हमारी धन सम्पदा
आर हो या पार हो तू देश को उबार दे
माँ भारती पुकारती तू शीश अपना वार दे
पाट दे तू खायी अमीर और गरीबो की
चंगुलो से मुक्त कर खेतो को खलिहानों को
माँ भारती पुकारती युवा तुम बढे चलो
इस तरफ न उस तरफ बस एक तरफ चले चलो
शांति से जनपथ पे आकर अपना हक तू मांग ले
आनाकानी हो जो कोई, खुद को भगत सिंह जान ले
भ्रष्टाचारी देशद्रोही का करना हैं विनाश तो
शांति को भी साथ ले और क्रांति को भी साथ ले
साथ साथ बढे चलो , माँ भारती पुकारती
तड़प रही कराहती माँ भारती पुकारती
1 comment:
शांति को भी साथ लो और क्रांति को भी साथ लो ।
सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति ...... आभार ।
www.satyasamvad.blogspot.com
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