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9.5.11

मेरी माँ

जब भी आँखों में आंसू आते है पल्लू से पोंछ देती है
         मेरी माँ हरदम मेरे साथ साथ रहती है .

उसकी हाथों की छुअन  आज भी जगा देती है मुझे रातों  मैं
           वो मुझे याद करके बिस्तरों मैं चुपचाप रोती है .

उसका आँचल हर धूप से छाव था मेरे लिए
          वो आज भी मेरे इंतज़ार मैं उस छाव को समेटी है.

मेरा हाथ थामकर चलती रही वो रहो मैं
         मेरी माँ सारे कांटे अपने पैरों मैं ले लेती थी .

मेरे हर दुःख  दर्द की गवाह है मेरी  माँ
        और अपने हर दर्द को मुस्कुराहटों से छुपाती है .

हर पल मुझे तेरी बहुत याद आती है
         माँ मुझे रह रह कर बहुत रुलाती है .

mera blog
http://meriparwaz.blogspot.com/

2 comments:

तेजवानी गिरधर said...

अति सुंदर व प्यारी रचना है

kanu..... said...

धन्यवाद् सर .