दिल्ली में सुख-चैन से बैठे,नेताओं की नींद हराम
अब धक्के की एक जरूरत,होना तय है काम तमाम
आज वतन के पहरेदारों का जग देख रहा अभियान
अन्ना के संग मिलकर तोड़ें दिल्ली का झूठा अभिमान
जनता की ताकत तो देखो, नहीं यहां हम डरने वाले
सदा व्योम का द्वार खुला है पंख खोज ले उड़ने वाले
आज हमारी आशाओं का उज्जवल दीप बने अन्ना
भष्ट्राचार से मुक्त देश हो,जन-जन की है यही तमन्ना
कब तक आखिर गम खाएं और घूंट पिएं लाचारी के
अब उपचार करेंगे मिलकर,हम सारी बीमारी के
कुंवर प्रीतम
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