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21.8.11

सुंदर चेहरे

* सुंदर चेहरे
पता नहीं कैसे
इतने सुंदर हो गए चेहरे ,
कि जब देखो तब फोटोग्राफ |
मोबाइलों में फोटो ही फोटो
डिजिटल कैमरों से क्लिक पर समाज ,
पोज पर पोज़ चेहरों के |
फोटो खींचने और खिंचवाने का क्रेज़
एकाएक बढ़ गया |
इतने सुंदर हो गये चेहरे |

शहर हो या देहात
एलबम और कमरों की दीवारें
फोटुओं से ढक गयीं हैं |
दीवार गायब , तो नीव गायब
रह गयीं वहां तस्वीरें ,
बिगड़ा है वहीँ दर हकीकत
समाज का चेहरा
जैसे -जैसे सुंदर होते गए चेहरे | ##




*रोज़ अपनी ज़िन्दगी
उठाता हूँ, शाम तक
उसे समाप्त कर देता हूँ
मेरा रोज़ कुछ काम
करना तय होता है
रोज़ शाम तक उसे पूरा करके
फेंक देता हूँ | ##


* wahin se
raasta nikalta tha
jahan se hum
kuchh aage barh aaye | ##

*जिसे प्यार karo
uskee ungliyon

का पोर - पोर
प्यारा
लगने लगता है | ##

2 comments:

Shalini kaushik said...

सुन्दर भावाभिव्यक्ति.आपको कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें

Ugra Nagrik said...

Dhanyavad Shalini , shubhkamnaein aapko bhi .