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अच्छा नहीं लगता । (गीत)
http://mktvfilms.blogspot.in/2012/08/blog-post_14.html
बार-बार यूँ रूठना तेरा, अच्छा नहीं लगता ।
बेवजह का ये गुस्सा तेरा, सच्चा नहीं लगता ।
अंतरा-१.
धुआँ - धुआँ सा हो रहा है, जलता हुआ ये दिल ।
फिर तेज़ आँच पर दर्दे-दिल ? अच्छा नहीं लगता ।
बार-बार यूँ रूठना तेरा, अच्छा नहीं लगता ।
अंतरा-२.
चराग़ों से जब पूछा कि, मेरा गुनाह तो बता ?
तब रौशनी चुराती तेरी आह ? अच्छा नहीं लगता ।
बार - बार यूँ रूठना तेरा, अच्छा नहीं लगता ।
अंतरा-३.
पता है तुझे, मर रहा हूँ मैं, इंतज़ार में तेरे ।
वस्ल की रात हो बेज़ार ? अच्छा नहीं लगता ।
बार-बार यूँ रूठना तेरा, अच्छा नहीं लगता ।
(वस्ल=मिलन; बेज़ार=उचाट)
अंतरा-४.
माना कि इश्क कभी-कभी इम्तिहान लेता है ।
पर मासूम को सज़ा -ए- मौत ? अच्छा नहीं लगता ।
बार-बार यूँ रूठना तेरा, अच्छा नहीं लगता ।
मार्कण्ड दवे । दिनांकः१४-०८-२०१२.
1 comment:
बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
बधाई
इंडिया दर्पण पर भी पधारेँ।
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