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7.6.20

7 जून संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस : क्या करें ताकि फिर से कोरोना जैसी महामारी पैदा ना हो


● खाद्य सुरक्षा को कभी गम्भीरता से नही लिया गया है।

● दूषित खाने से प्रतिवर्ष लाखों लोगों की जान जाती है।

● खाने की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

● उपभोक्ताओं का अधिकार है कि उन्हें सुरक्षित खाना प्राप्त हो ।

आज दूसरा विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस मनाया जा रहा है जिसका विषय है 'खाद्य सुरक्षा हम सभी का कार्य है'।

वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया का ध्यान दूषित खाने और पानी से सेहत को हो रहे नुकसान की ओर खींचने के लिए इसकी शुरुआत की थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दूषित खाने की वजह से दो सौ से ज्यादा गम्भीर बीमारियां हो सकती है जिनमें कैंसर और डायरिया शामिल हैं।

खाद्य सुरक्षा का अगर गम्भीरता से ध्यान रखा गया होता तो आज विश्व जानवरों से मनुष्य के शरीर में आयी कोरोना जैसी गम्भीर महामारी से नही लड़ रहा होता।

विश्व में हर दस में से एक व्यक्ति दूषित खाने की वजह से बीमार होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार विश्व में हर साल दूषित खाने की वजह से 4,20,000 लोगों की जान जाती है।

दूषित खाने का सबसे ज्यादा प्रभाव पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों पर पड़ता है।

वर्तमान में हमें प्राप्त होने वाला खाना सुरक्षित नहीं है। मुर्गी पालन में मुर्गियों को प्राकृतिक तरीके से बड़ा होने में समय लगता है और उन्हें जल्दी बड़ा करने के लिए मानव के लिए घातक सिद्ध होने वाले रसायनों का प्रयोग किया जाता है।

कृषि में बहुत सी सब्जियों को समय से पहले बड़ा करने के लिए मनुष्यों के लिये नुकसानदायक रासायनिक खादों का इस्तेमाल किया जाता है।

प्रदूषण भी हमारे खाद्यान्न को बुरी तरह प्रभावित करता है। उद्योगों से निकलने वाले रसायन कृषि भूमि में मिल जाते हैं फिर उस भूमि से उत्पादित होने वाले खाद्यान्न हमारी सेहत पर बेहद विपरीत असर डालते हैं।

रसायन मिश्रित दुग्ध उत्पाद बच्चों के स्वास्थ्य लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं।

दूषित खाने की वजह से फूड पॉयजनिंग हो जाती है। बासी खाना और गन्दा पानी फूड पॉयजनिंग होने का मुख्य कारण हैं। गन्दे हाथों से खाना खाने, खाना बनाते वक्त गन्दे पानी का इस्तेमाल करने से भी फूड पॉयजनिंग होती है।

खाने का सामान ढका ना होने की वजह से या पुराना हो जाने की वजह से उसमें बैक्टीरिया व सूक्ष्म जीव पनप जाते हैं और कुछ घण्टे बाद ही इसका असर दिखना शुरू हो जाता है। इसका मुख्य लक्षण है उल्टी का महसूस होना। पेट दर्द व पेट खराब भी हो जाता है। फूड पॉयजनिंग की वजह से कभी-कभी व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

खाने की स्वच्छता पर ध्यान देना आवश्यक है और कोरोना काल में तो स्वच्छता का महत्व और भी बढ़ गया है।

खाना बनाने से पहले बीस सेकेंड तक अपने हाथ साबुन से धोने चाहिए।

सभी सब्ज़ियों और फलों को बहते पानी के नीचे खंगाले और सूखे कपड़ों से उन्हें सुखाएं। इन्हें साबुन और डिटर्जेंट से नहीं धोना चाहिए।

खाने को अच्छे से पकाकर ही खाना चाहिए।

जब कच्‍चा मांस खरीदते हैं तो उसे फ्रीज में दूसरे फल- सब्जियों के साथ नही रखना चाहिए। उस मांस को काटने के लिए जिस चाकू और दूसरे बर्तनों का इस्तेमाल किया गया है उन्हें अच्छे से धोना चाहिए।

अंडों को खुले में ना रखकर फ्रीज़ में रखना चाहिए।

खुले में मिलने वाले खाने और फ़ास्ट फूड से दूर रहना चाहिए।

किसानों को सुरक्षित खाने के उत्पादन के लिए सुरक्षित तरीका अपनाना चाहिए। उपभोक्ताओं का अधिकार है कि उन्हें सुरक्षित खाना प्राप्त हो।

यूएन के वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्य के तीस लक्ष्यों में से दो स्वास्थ्य सुधार और भुखमरी खत्म करना खाद्य पदार्थों की सुरक्षा से ही पूरे हो सकते हैं।

सरकार को यह निर्धारित करना चाहिए कि सभी को सुरक्षित और पौष्टिक आहार मिले। भारत में इसके लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग कार्य करता है।

विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस पर लोगों को खाद्य पदार्थों को लेकर जागरूक करने की आवश्यकता है। कोरोना काल में भी सभी विद्यालयों, कॉलेजों को अपने विद्यार्थियों से इस पर वेब संगोष्ठी कर चर्चा करनी चाहिए।

एक अभियान चलाकर ट्विटर, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर #foodsafety नाम से हैशटैग बना खाद्य सुरक्षा की महत्वत्ता से सबको परिचित किया जाना चाहिए।

सरकार को भी इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है उसे खाद्य सुरक्षा को लेकर विज्ञापन प्रसारित करने चाहिए।

himanshu joshi
himanshu28may@gmail.com